सोनू ने यह भी कहा था, ‘अगर आप कहते हैं कि ‘अनु मलिक ने आज सुबह मुझसे मुलाकात की’ तो यह ठीक है। लेकिन आपने बिना किसी सबूत के आरोप लगाए, इसे भी स्वीकार करें। अगर वह (अनु मलिक) इस पर कुछ बोलना चाहते, तो बहुत कुथ बोल सकते थे। लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया।’ उन्होंने कहा था, ‘अगर मैं कहूं कि आपने मेरे साथ बदतमीजी की तो आप कहेंगे की सबूत दिखाओ? लेकिन सबूत तो नहीं है ना। इसके बाद भी लोग आरोप लगाने वालों को सम्मान दे रहे हैं जो अनु मलिक को बदनाम कर रहे हैं। और, आप उनको बैन कैसे कर सकते हैं? किसी की रोजी रोटी को कैसे छीन सकते हैं आप? उनकी फैमिली को क्यों टार्चर करेंगे आप?’
अनु मलिक पर गायिका सोना महापात्रा ने यौन दुर्व्यवहार का आरोप लगाया था। सोनू निगम द्वारा अनु मलिक का बचाव करने के बाद सोना महापात्रा ने सोनू के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराया। उन्होंने कहा कि सोनू की इस तरह की बातों को सुनकर उन्हें धक्का लगा। संगीतकार राम संपत की पत्नी सोना ने ट्विटर पर लिखा, “एक करोड़पति का काम चला गया तो इतनी सहानुभूति? इतनी सहानुभूति उसके परिवार के ‘उत्पीड़न’ के प्रति जिसके पास ढेरों विशेषाधिकार हैं? उन तमाम लड़कियों और महिलाओं का क्या जिनका उसने उत्पीड़न किया? इतनी सारी लड़कियों की गवाही क्या उसके अपराध को साबित करने के लिए पर्याप्त नहीं हैं? अकेल मैं नहीं, कोई सौ महिलाएं और पुरुष अनु मलिक के निंदनीय व्यवहार की गवाही दे सकते हैं।”
सोनू की पाकिस्तान संबंधी टिप्पणी पर सोना ने कहा, ‘क्या अरिजीत सिंह, बादशाह, विशाल ददलानी पाकिस्तान से हैं? आपको आपके हिस्से की प्रसिद्धि मिली है। भारत में बिना किसी अपवाद के हर तीन-चार-पांच साल में एक ‘पुरुष सुपरस्टार’ उभरता है। तो, पाकिस्तानी कलाकारों पर दोष न लगाएं और कला और संगीत का घालमेल राजनीति और विचारधारा से ना करें।’
इसके बाद सोनू ने ट्वीट किया, ‘ट्विटर पर सम्मानित महिला जो ट्विटर पर उलटी कर रही है, किसी ऐसे शख्स की पत्नी है जिसे मैं अपना बेहद करीबी मानता हूं, भले ही वह रिश्ते को भूल गई हैं, मैं मर्यादा बनाए रखना चाहता हूं।’ उन्होंने कहा, ‘कोई जानवर ही होगा, जो मीटू मूवमेंट (यौन शोषण के खिलाफ अभियान) का सर्पोट नहीं करता होगा।’
सोनू ने एक बयान में कहा, ‘इतिहास में लंबे समय से महिलाएं उत्पीड़न का शिकार रही हैं। समय बिलकुल आ गया है कि उनसे संपत्ति और ट्राफी की तरह व्यवहार बंद किया जाए। अब वे पुरुषों से कंधे से कंधा मिलाकर चलती हैं।’ उन्होंने कहा, ‘तो, आरोप लगाना सही है..लेकिन सजा देना? यह कैसे सही हुआ? सजा देना तो कानून का काम है।’
उन्होंने कहा, हर मुद्दे पर हमेशा के लिए झगड़ने की जरूरत नहीं है। सकारात्मक पक्ष को देखो। पुरुषों ने अब महिलाओं के साथ ‘व्यवहार’ करना सीखा है। कुछ मजबूत महिलाओं के बलिदान ने जादू किया है और यह वर्तमान और भविष्य में शांतिपूर्ण और सुरक्षित कार्य वातावरण के लिए मार्ग प्रशस्त करता है।