Akshay Kumar की फिल्म ‘लक्ष्मी बम’ पर लगा लव जिहाद को बढ़ावा देना का आरोप, उठी बायकॉट की मांग मौत से एक दिन पहले 12 दिसंबर 1986 का दिन था। स्मिता के लिए यह दिन भी बाकी दिनों की तरह नॉर्मल था। सुबह-सुबह प्रतीक के रोने की आवाज सुनकर स्मिता उठीं और बेटे को चुप कराने की कोशिश करने लगीं। वह नहीं चाहती थीं कि बेटे की आवाज सुनकर पति राज बब्बर की नींद खुल जाए। क्योंकि वह रात को देर से काम से लौटे थे। बेटे को चुप कराने के लिए स्मिता नर्सरी में गईं। वह बेटे के भविष्य के बारे में सोचने लगीं। स्मिता ने बेटे का पहले ही नाम रख दिया था। वह उन्हें प्रतीक के नाम से बुलाती थीं।
जब स्मिता प्रतीक को चुप करा रही थीं तो उन्होंने देखा कि वह अपने सिर को उनकी बॉडी से दूर कर रहा है। तब स्मिता को अपनी बॉडी के बढ़े तापमान का एहसास हुआ। इसलिए बेटे को भी वायरस न हो जाए इसलिए स्मिता ने उन्हें दो दिन तक खुद से दूर रखा। इसके कुछ देर बाद राज बब्बर घर से निकल गए। घर पर स्मिता राज बब्बर से हुई अपनी पहली मुलाकात को याद करने लगीं। उन्होंने अपनी बहनों को भी याद किया। इसके थोड़ी देर बाद रुटीन चेकअप के लिए डॉक्टर आए और चेक करके चले गए।
‘कुछ कुछ होता है’ को लेकर Anupam Kher ने करण जौहर पर कसा तंज, 22 साल पूरे होने पर धर्मा प्रोडक्शन से हुए बड़ी गलती स्मिता खून की उल्टियां कर रही थीं उसी दिन शाम को राज बब्बर काम से वापस लौटे। उस वक्त स्मिता की ट्यूब्स निकाल दी गई थीं और वह अच्छा महसूस कर रही थीं। राज बब्बर किसी पार्टी में जाने वाले थे। स्मिता ने उनसे साथ में जाने की इच्छा जताई लेकिन राज ने उन्हें साफ इंकार कर दिया और घर पर आराम करने के लिए कहा। इसके बाद जब राज बब्बर नहाकर बाहर आए तो उन्होंने देखा कि स्मिता का चेहरा पूरी तरह पीला पड़ चुका है। वह खून की उल्टियां कर रही थीं। डॉक्टर से संपर्क किया गया। लेकिन स्मिता अपने बेटे से दूर नहीं जाना चाहती थीं। वह रोती रहीं। इसके बाद अस्पताल जाते वक्त रास्ते में ही वह कोमा में चली गईं। डॉक्टर्स ने बताया कि उनके दिमाग ने काम करना बंद दिया था। उसके दूसरे दिन स्मिता का निधन हो गया।