पटौदी पैलेस में है टाइगर पटौदी की कब्र
दरअसल, टाइगर पटौदी के निधन के बाद उनके शव को पटौदी पैलेस में ही दफनाया गया था। ऐसे में शर्मिला अक्सर वहां जाया करती थीं। एक दिन वह अपने पति के कब्र के पास बैठी हुई थीं, तभी वहां कुछ लोग उनसे ऑटोग्राफ लेने के लिए आ गए। इस बारे में खुद शर्मिला ने रेडिफ डॉट कॉम को दिए इंटरव्यू में बताया था।
दरअसल, टाइगर पटौदी के निधन के बाद उनके शव को पटौदी पैलेस में ही दफनाया गया था। ऐसे में शर्मिला अक्सर वहां जाया करती थीं। एक दिन वह अपने पति के कब्र के पास बैठी हुई थीं, तभी वहां कुछ लोग उनसे ऑटोग्राफ लेने के लिए आ गए। इस बारे में खुद शर्मिला ने रेडिफ डॉट कॉम को दिए इंटरव्यू में बताया था।
पति की कब्र पर ऑटोग्राफ लेने पहुंचे लोग
इंटरव्यू में उनसे पूछा गया था कि क्या पटौदी पैलेस में टाइगर पटौदी की विरासत बसती है? इस पर शर्मिला ने कहा था, ‘वहां टाइगर को दफनाया गया है। इसीलिए ही मैं वहां जाना पसंद करती हूं।’ इसके बाद शर्मिला ने बताया कि टाइगर पटौदी के निधन के छह महीने बाद वह उनकी कब्र के पास बैठी हुई थीं। तभी एक आदमी और दो बच्चे उनके पास ऑटोग्राफ लेने के लिए आए। शर्मिला ने उन्हें मना कर दिया। जिसके बाद वो लोग वहां से चले गए। लेकिन कुछ देर बाद वो दोबारा आए। इस बार शर्मिला ने उनसे काफी खुश होकर बात की।
इंटरव्यू में उनसे पूछा गया था कि क्या पटौदी पैलेस में टाइगर पटौदी की विरासत बसती है? इस पर शर्मिला ने कहा था, ‘वहां टाइगर को दफनाया गया है। इसीलिए ही मैं वहां जाना पसंद करती हूं।’ इसके बाद शर्मिला ने बताया कि टाइगर पटौदी के निधन के छह महीने बाद वह उनकी कब्र के पास बैठी हुई थीं। तभी एक आदमी और दो बच्चे उनके पास ऑटोग्राफ लेने के लिए आए। शर्मिला ने उन्हें मना कर दिया। जिसके बाद वो लोग वहां से चले गए। लेकिन कुछ देर बाद वो दोबारा आए। इस बार शर्मिला ने उनसे काफी खुश होकर बात की।
शर्मिला को पकड़ाया नोट
इसके बाद शर्मिला ने बताया, ‘तभी बच्चों ने मुझे उनकी मां का दिया हुआ एक नोट दिया। जिसमें लिखा हुआ था, ‘मुझे उन लोगों के प्रति थोड़ी विनम्रता दिखानी चाहिए, जो उस चीज के लिए जिम्मेदार हैं जो मैं आज हूं।’ उनकी वो बात मुझे बहुत असंवेदनशील लगी। मुझे बहुत दुख हुआ था। ये जानते हुए भी कि मैं अपने पति के कब्र के पास बैठी हूं। उन्होंने मेरे दुख के पल में कोई संवेदनशीलता तक नहीं दिखाई। मैं उनकी इस संवेदनहीनता को समझ नहीं पाई। लोग हमें बाहर से देखकर तुंरत जज कर लेते हैं। लेकिन उन्हें ये नहीं पता होता है कि आखिर हमारी जिंदगी में क्या चल रहा है।’
इसके बाद शर्मिला ने बताया, ‘तभी बच्चों ने मुझे उनकी मां का दिया हुआ एक नोट दिया। जिसमें लिखा हुआ था, ‘मुझे उन लोगों के प्रति थोड़ी विनम्रता दिखानी चाहिए, जो उस चीज के लिए जिम्मेदार हैं जो मैं आज हूं।’ उनकी वो बात मुझे बहुत असंवेदनशील लगी। मुझे बहुत दुख हुआ था। ये जानते हुए भी कि मैं अपने पति के कब्र के पास बैठी हूं। उन्होंने मेरे दुख के पल में कोई संवेदनशीलता तक नहीं दिखाई। मैं उनकी इस संवेदनहीनता को समझ नहीं पाई। लोग हमें बाहर से देखकर तुंरत जज कर लेते हैं। लेकिन उन्हें ये नहीं पता होता है कि आखिर हमारी जिंदगी में क्या चल रहा है।’