इंटरव्यू में उन्होंने बताया था कि ‘एक बार वो अपने माता-पिता को अपनी ही फिल्म ‘इंसानियत के दुश्मन’ दिखाने ले गए। फिल्म में शक्ति का एक बलात्कार का सीन था, जिसे देखने के बाद उनकी मां बेहद नाराज हो गईं थी और थिएटर से चली गई थीं’। इतना ही नहीं उनका फिल्मों में काम करना और ऐसे किरदार निभाना उनके पिता को भी कुछ खास पसंद नहीं आया था।
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शक्ति कपूर ने इंटरव्यू में इस बात का भी खुलासा किया था कि ‘उनके पिता उनको एक दर्जी बनाना चाहते थे’। उन्होंने बताया था कि ‘उनके पिता की दिल्ली में एक दर्जी की दुकान थी। बचपन में शक्ति को काफी आर्थिक दिक्कतों का सामना करना पड़ा था। मेरी कभी पढ़ाई में दिलचस्पी नहीं रही। मुझे परीक्षा में बहुत कम नंबर ही मिला करते थे। मुझे तीन स्कूलों होली चाइल्ड, फ्रैंक एंथोनी पब्लिक स्कूल और सलवान पब्लिक स्कूल से निकाल दिया गया’।एक्टर ने अपने जीवन के बारे में बात करते हुए आगे बताया कि ‘उनके पिता पैसे बचाना चाहते थे और चाहते थे कि बेटा अपने फैमिली बिजनेस को ही संभाले’। शक्ति कपूर ने बताया था कि ‘मैंने ट्रैवल बिजनेस करना शुरू किया। इतना ही नहीं मैं पिता को बिना बताए उनकी फिएट कार में लॉन्ग ड्राइव पर जाता था। इस वजह से हमारे बीच बहुत झगड़े होते थे’।
बता दें कि फिल्मों में सफलता के बाद शक्ति कपूर की शादी शिवांगी कोल्हापुरे से हुई थी और शिवांगी, एक्ट्रेस पद्मिनी कोल्हापुरे की बहन हैं। शक्ति कपूर ने अपने फिल्मी करियकर में ‘खेल खिलाड़ी’ के बाद ‘कुर्बानी’ और ‘रॉकी’ जैसी कई हिट फिल्मों में काम किया। साथ ही उन्होंने गोविंदा की कई फिल्मों में ‘नंदू’ और ‘मामा जी’, आमिर और सलमान के साथ फिल्म ‘अंदाज अपना-अपना’ में ‘क्राइम मास्ट गोगो’ जैसे करिदारों से लोगों का मनोरंजन किया है।
उनके इस किरदारों को आज भी पसंद किया जाता है। आपको जानकर भी हैरानी होगी कि शक्ति कपूर को उनका ये नाम अपने दौरान के दिग्गज कलाकार सुनील दत्त ने दिया था। दरअसल, विलेन के तौर पर शक्ति का ‘सुनील सिकंदरलाल कपूर’ नाम जच नहीं रहा था, जिसके बाद सुनील दत्त ने उन्हें शक्ति कपूर नाम दिया था।