शाहरुख खान कभी फिल्मों में नहीं आना चाहते थे, लेकिन मां के चलते उन्होंने इस तरफ रुख किया। उनका ऐक्टर बनने का सपना कभी था ही नहीं क्योंकि उन्हें लगता था कि उनके लुक्स अच्छे नहीं हैं। जब शाहरुख की मां का निधन हुआ, तो वह उस गम से उबर नहीं पा रहे थे, जिसके चलते उन्होंने एक्टिंग में उतरने का फैसला लिया। अपनेआप को इस दुख से उबारने के लिए शाहरुख ने न चाहते हुए भी खुद को फिल्मों की ओर मोड़ लिया।
शाहरुख खान का पहला शो था ‘फौजी’। फौजी 1988 में दूरदर्शन पर प्रसारित हुआ था, न्यू फिल्म एडिक्ट ने इसे प्रोड्यूस किया था और राजकुमार कपूर ने इसे डायरेक्ट किया था।
किंग खान ने इंटरव्यू में बताया था कि उन्होंने बताया कि वह कर्नल राज कपूर (राज कुमार कपूर) के शुक्रगुजार हैं। अगर वह न होते तो मुझे नहीं लगता है कि मैं कभी स्क्रीन पर एक्टिंग भी कर पाता।’
शाहरुख खान का पहला शो था ‘फौजी’। फौजी 1988 में दूरदर्शन पर प्रसारित हुआ था, न्यू फिल्म एडिक्ट ने इसे प्रोड्यूस किया था और राजकुमार कपूर ने इसे डायरेक्ट किया था।
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फौजी से शाहरुख खान ने अपनी पहचान बनाई थी। इस शो में पहले शाहरुख खान को पेड़ पर कौओं को गिनने का रोल मिला था, जिसे सुनकर शाहरुख हैरान रह गए थे। उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि वो सबको क्या बताएंगे। इस पूरे किस्से का खुलासा खुद किंग खान ने एक इंटरव्यू के दौरान किया था।किंग खान ने इंटरव्यू में बताया था कि उन्होंने बताया कि वह कर्नल राज कपूर (राज कुमार कपूर) के शुक्रगुजार हैं। अगर वह न होते तो मुझे नहीं लगता है कि मैं कभी स्क्रीन पर एक्टिंग भी कर पाता।’
उन्होंने ने आगे बताया कि कर्नल राज कपूर के दामाद हमारे लिए तब रेंट पर घर ढूंढ रहे थे क्योंकि मेरे पिताजी का उन्हीं दिनों निधन हुआ था। जब मेरी मां घर देखने गईं तो उन्होंने कहा कि मेरा बेटा यहां नहीं है और वह घर को देख लेगा तभी कन्फर्म करेंगी। उन्होंने पूछा कि आपका बेटा कहां है? उन्होंने जवाब दिया- वह एक्टिंग के लिए गया है। इसके बाद उन्होंने मां से कहा कि वह अपने बेटे को उनके ससुर राज कपूर के पास भेज दें जो कि इस वक्त कोई सीरियल डायरेक्ट कर रहे हैं।’
शाहरुख खान ने आगे बताया, ‘मैं वहां गया, मैंने ऑडिशन दिया और उन्होंने मुझे एक अच्छा सा रोल दे दिया। पूरे फौजी सीरियल में कर्नल को मुझे पेड़ों पर कौओं को गिनने का ऑर्डर देना था। मुझे भागकर जाना था और कहना था- वहां चार कौवे हैं। पूरे सीरियल में मेरा यही रोल था। मुझे यह बहुत अजीब लगा, मैं अपनी फैमिली से क्या कहूंगी कि यही मेरा रोल है? उन्होंने बताया कि बहुत सारी चीजें उनके साथ लक से हो गईं।
शाहरुख खान ने आगे बताया, ‘मैं वहां गया, मैंने ऑडिशन दिया और उन्होंने मुझे एक अच्छा सा रोल दे दिया। पूरे फौजी सीरियल में कर्नल को मुझे पेड़ों पर कौओं को गिनने का ऑर्डर देना था। मुझे भागकर जाना था और कहना था- वहां चार कौवे हैं। पूरे सीरियल में मेरा यही रोल था। मुझे यह बहुत अजीब लगा, मैं अपनी फैमिली से क्या कहूंगी कि यही मेरा रोल है? उन्होंने बताया कि बहुत सारी चीजें उनके साथ लक से हो गईं।
80 के दशक में जब शाहरुख खान ने काफी संघर्ष के दिन देखे। उनकी पहली सैलरी मात्रा 50 रुपये थी, जो उन्होंने पंकज उदास के एक कार्यक्रम में काम करके कमाई थी, जिसके मिलने के बाद वह ट्रेन का टिकट खरीदकर सीधे ताज महल देखने के लिए गए थे।इस तरह छोटे पर्दे से अपने करियर की शुरुआत करने वाले शाहरुख खान अपने अच्छे काम और मेहनत के दम पर आगे बढ़ते गए और एक दिन बॉलीवुड के बादशाह-किंग खान बन गए।
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