इसके साथ ही वह टीवी शोज में भी नजर आए। 1994 में दूरदर्शन के क्राइम ड्रामा शो तहकीकात में उन्होंने विजय आनंद के साथ काम किया। सौरभ शुक्ला सीरियल और थियेटर नाटकों में व्यस्त रहे। इस बीच 1998 में उन्हें सबसे बड़ा ब्रेक राम गोपाल वर्मा ने अपनी फिल्म सत्या में दिया
1. कैलाश, बैंडिट क्वीन शेखर कपूर के निर्देशन में बनी बैंडिट क्वीन में सौरभ शुक्ला कैलाश के किरदार में थे। कहा जाता है कि फिल्म में कैलाश एक ऐसा किरदार था जो विशेष रूप से सौरभ शुक्ला के लिए लिखा गया था। यह फिल्म का हिस्सा नहीं था। मगर, कपूर सौरभ शुक्ला को फिल्म में कास्ट करना चाहते थे इसलिए उनके लिए यह खास भूमिका लिखी गई। बाद में सौरभ शुक्ला ने अपने अभिनय से इसे किरदार को हमेशा के लिए अमर कर दिया।
2. कल्लू मामा, सत्या सौरभ शुक्ला ने कई फिल्में की। मगर उन्हें असली पहचान ‘सत्या’ में कल्लू मामा के किरदार ने दिलाई। यह एक ऐसा किरदार था, जिसने उन्हें शोहरत की बुलंदियों पर पहुंचाया. सौरभ शुक्ला इस फिल्म में सह लेखक भी थे। सत्या फिल्म से जुड़ा एक बड़ा पहलू यह है कि सौरभ पहले इसमें बतौर सहलेखक काम करने के लिए राजी नहीं थे। कल्लू मामा का किरदार ही था, जिसके कारण वह सहलेखन करने को राजी हुए थे।
3. टॉम अंकल, मोहब्बतें ”कोई प्यार करे तो तुमसे करे, तुम जैसे हो वैसे करे, कोई तुम्हें बदल कर प्यार करें तो वो प्यार नहीं, सौदा कर रहा है, और प्यार में सौदा नहीं होता”…मोहब्बतें फ़िल्म का यह डायलॉग कई सारी यादें ताजा कर देता है। इस फिल्म में सौरभ शुक्ला एक पिता की भूमिका में थे। उन्होंने इस संजीदा किरदार को न सिर्फ निभाया, बल्कि अपने अंदाज से सबको हंसाया भी। इस फिल्म में उनके साथ शाहरुख और अमिताभ बच्चन भी थे।
4. पांडुरंग, नायक द रियल हीरो सीएम का दाहिना हाथ बने पांडुरंग यानी सौरभ शुक्ला ने अपने इस किरदार से लोगों को जमकर हंसाने का काम किया। लाइव टेलीकास्ट के दौरान जिस तरह से वो गोबर लगी चप्पल के साथ स्क्रीन पर नज़र आते हैं, वो दिल जीतने वाला है। आज भी उनके किरदार को लेकर सोशल मीडिया पर मीम देखने को मिल ही जाते हैं।
5. जस्टिस सुंदर लाल त्रिपाठी, जॉली एलएलबी
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