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भारतीय सिनेमा के डायरेक्टर सत्यजीत रे, जिनकी फिल्मों की नकल करते हैं हॉलीवुड वाले

Satyajit Ray Birth Anniversary: सत्यजीत रे (Satyajit Ray) ने अपने काम से भारतीय सिनेमा को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पॉपुलर बनाया है। साथ ही उन्होंने कई फिल्मकारों को प्रेरित करने का भी काम किया है।

May 02, 2020 / 02:02 pm

Sunita Adhikari

Satyajit Ray Birth Anniversary

नई दिल्ली: भारतीय सिनेमा के फिल्मकार सत्यजीत रे का आज जन्मदिन (Satyajit Ray Birth Anniversary) है। उन्होंने पाथेर पांचाली, अपराजितो, चारुलता और द वर्ल्ड ऑफ जैसी शानदार फिल्में बनाई हैं। इतना ही नहीं इनके नाम पद्म भूषण, पद्म विभूषण, भारत रत्न, और ऑस्कर अवॉर्ड जैसे अवॉर्ड हैं। फिल्म निर्माता, निर्देशक और लेखक सत्यजीत रे के जन्मदिन पर हम आपको बताते हैं उनसे जुड़ी कुछ खास बातें।
सत्यजीत रे (Satyajit Ray) ने अपने काम से भारतीय सिनेमा को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पॉपुलर बनाया है। साथ ही उन्होंने कई फिल्मकारों को प्रेरित करने का भी काम किया है। हॉलीवुड डायरेक्टर क्रिस्टोफर नोलान ने हाल ही में सत्यजीत रे (Satyajit Ray) की फिल्म ‘पाथेर पांचाली’ की काफी तारीफ की। उन्होंने इस फिल्म को इतिहास में बेस्ट फिल्म बताया। इतना ही नहीं, क्रिस्टोफर नोलान ने जब सत्यजीत की पाथेर पांचाली फिल्म देखी तो उन्हें भारतीय सिनेमा को और करीब से जानने की इच्छा हुई। उन्होंने इस फिल्म को सिनेमा का मास्टर पीस भी बताया।
उनकी फिल्म ‘अपू ट्रायलॉजी’ को वर्ल्ड सिनेमा की सबसे बेहतरीन फिल्मों में से एक माना जाता है। लेकिन रे केवल एक फिल्म निर्देशक ही नहीं बल्कि वह म्यूजिक कंपोजर, कैलीग्राफर, फिक्शन राइटर, सेट-ग्राफिक डिजाइनरऔर फिल्म क्रिटिक भी थे।
जब सत्यजीत रे ‘पाथेर पांचली’ बना रहे थे तो उन्हीं काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा था। फंड जुटाने के लिए उन्होंने अपनी पत्नी के गहने गिरवी रखवाए थे। लेकिन जब ये फिल्म बनकर रिलीज हुई सिनेमा का माइलस्टोन कही गई। कहा जाता है हॉलीवुड के कई फिल्में सत्यजीत रे की फिल्मों की कहानियों से प्रेरित हैं। जिसमें ‘टैक्सी ड्राइवर’, ‘फोर्टी शेड्स ऑफ ब्लू’, ‘E.T. द एक्सट्रा टेरेस्ट्रअल’ जैसी फिल्में शामिल हैं।
सत्यजीत रे को साल 1983 में फिल्म घरे बायरे के दौरान हार्ट अटैक आया था, जिसके बाद से वह लंबे समय तक बीमार रहे। बेटे की मदद से उन्होंने फिल्म घरे बायरे 1984 में पूरी की। उनके जीवन की आखिरी फिल्म आगंतुक थी। साल 1992 में रे की तबीयत फिर से बिगड़ी और उन्हें हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया। उनके निधन के 24 दिन पहले ही एकेडमी अवॉर्ड से नवाजा गया था। इस अवॉर्ड को सत्यजीत रे ने फिल्म मेकिंग करियर का बेस्ट अचीवमेंट बताया।

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