इंडियन फ़िल्म इंडस्ट्री में महान अभिनेता संजीव कुमार जैसे कलाकार बिरले ही हुए हैं, उनके बेमिसाल अभिनय की जितनी तारीफ की जाए वह कम होगी। 9 जुलाई 1938 को गुजरात के सूरत में संजीव का जन्म हुआ, संजीव एक उम्दा कलाकार के साथ-साथ एक बेहतरीन इंसान भी थे। अगर उनके फिल्मी करियर की बात करें तो फिल्म शोले में ठाकुर का उनका रोल अमर हो गया।
संजीव के अभिनय की खासियत यह है कि उन्होंने फिल्म “नया दिन नयी रात” में अलग-अलग नौ किरदार निभाए। “कोशिश” फिल्म में जिस तरह से उन्होंने गूंगे बहरे का ज़बरदस्त अभिनय किया वह इतिहास में अमर हो गया है। संजीव कुमार के शानदार फिल्मों की लिस्ट बहुत लंबी है। पर आज उनकी बर्थ एनिवर्सरी पर उनकी ज़िंदगी से जुड़े कई किस्से बताने जा रहे हैं। संजीव कुमार को बॉलीवुड का पहला रियल लाइफ बैचलर कहा जाता था, पर आज यह उपाधि सलमान खान को दी जाती है।
अंधविश्वास से नाता
संजीव कुमार जितने शानदार एक्टर थे उतनी ही उनके रियल लाइफ की अजीब बातें भी थीं, संजीव अंधविश्वास को भी मानते थे, वे इस अन्धविश्वास से घिरे थे कि उनके परिवार में बड़े बेटे की उम्र 10 वर्ष की होने पर पिता की मृत्यु हो जाती है। वैसे संजीव के दादा, पिता और भाई के साथ ऐसी घटना हो भी चुकी थी। बादमें संजीव ने अपने स्वर्गवासी भाई के पुत्र को गोद लिया, और उस लड़के के दस वर्ष का होने पर उनकी मृत्यु हो गई थी।