हाल ही में बॉलीवुड हंगामा के साथ केजीएफ 2 के एक प्रमोशनल इंटरव्यू में संजय दत्त ने कहा था कि केजीएफ 2 का ओपनिंग शो जरूर देखिए। लेकिन यह वो फिल्म है जिसे चार पांच बार देखनी चाहिए। एक बार देखेंगे तो समझ नहीं आएगी। आखिर केजीएफ 2 को चार-पांच बार देखने की जरूरत क्या है?
केजीएफ 2 असल में मसल पावर और अवैध तरीके से दासता की व्यवस्था को बनाए रखने की खिलाफत करती है। यह अमानवीयता के खिलाफ विद्रोह की कहानी है जो परिवार और समुदाय के सहजीवन की वकालत करती है। यह हर एक को संकट में भरोसा देती है कि अधीरा के रूप में दुष्ट, अमानवीय आक्रांता, असांस्कृतिक, बहुरंगी व्यवस्था के खिलाफ कोई है जो उसकी मदद के लिए खड़ा हो जाएगा। भले अधीरा अपने प्रभाव और लूट में हिस्सेदारी के वितरण से उन जिम्मेदार व्यवस्थाओं को मनमुताबिक हैंडल करता है- जिसकी जवाबदारी मजलूमों के प्रति ज्यादा है। लेकिन जब जवाबदार व्यवस्था मजलूमों के हित को नहीं देखता रॉकी के रूप में उसके आसपास मौजूद महानायक मोर्चा संभालता है। वह महानायक जो कई मायनों में अधीरा जैसा ही क्रूर है लेकिन मजलूमों यानी समाज के बड़े हिस्से हित रक्षक भी है।
वर्क फ्रंट की बात करें तो KGF 2 के बाद अब संजय दत्त फिल्म ‘शमशेरा’ में रणबीर कपूर के साथ नजर आएंगे। इसके अलावा संजय दत्त एक बार फिर रवीना टंडन के साथ रोमांटिक-कॉमिडी फिल्म ‘घुड़चढ़ी’ में भी नजर आएंगे जिसकी शूटिंग शुरू हो चुकी है।