कोलार गोल्ड फील्ड्स का इतिहास कुछ सालों बाद ब्रिटिश शासकों ने इस जमीन को मैसूर राज्य को दे दिया था लेकिन उन्होंने सोने की खदान वाला क्षेत्र कोलार अपने पास ही रखा था। इतिहासकारों के मुताबिक चोल साम्राज्य के लोग उस वक्त कोलार की जमीन में हाथ डालकर वहां से सोना निकाल लेते थे। जब इस बात का पता ब्रिटिश सरकार के लेफ्टिनेंट जॉन वॉरेन को चला तो उन्होंने गांव वालों को इनाम का लालच देकर सोना निकलवाया। इनाम की बात सुनकर ग्रामीण वॉरेन के पास मिट्टी भरकर एक बैलगाड़ी लेकर पहुंचे। ग्रामीणों ने जब उस मिट्टी को पानी से धोया तो उसमें सोने के अंश दिखाई दिए। वॉरेन के यकीन नहीं हुआ तो उन्होंने मामले की जांच कराई। इसके बाद वॉरेन ने अपने टाइम पर 56 किलो के आसपास सोना निकलवाया था। कई सालों बाद जब ब्रिटिश सैनिक माइकल फिट्जगेराल्ड लेवेली ने साल 1871 में वॉरेन का एक लेख पढ़ा तो उनके मन में सोने को पाने का जुनून जाग गया।
लेवेली ने बैंगलोर में ही डेरा जमा लिया और वह बैलगाड़ी की मदद से कोलार खदान तक पहुंचे। उन्होंने वहां पर कई तरह की जांच की और सोने की खदान खोजने में सफल रहे। फिर लगभग 2 सालों बाद उन्होंने मैसूर के महाराज को पत्र लिखा जिसमें कोलार की खुदाई का लाइसेंस मांगा। आपको बता दें कि लेवेली ने कोलार में 20 सालों तक खुदाई करने का लाइंसेस मांगा था और फिर शुरू हुआ मौत का खेल।
अंग्रेजों के लिए केजीएफ था छोटा इंग्लैंड तालाब से पानी को केजीएफ तक पहुंचाने के लिए पाइपलाइन का सहारा लिया गया। आगे चलकर यही तलाबा पर्यटन स्थल बन गया। अंग्रेजों ने केजीएफ को छोटा इंग्लैंड कहना शुरू कर दिया था। वहीं दूसरी तरफ सोने की खदान में काम करने के लिए मजूदर लगातार आते जा रहे थे। साल 1930 तक केजीएफ में लगभग 30 हजार मजदूर काम करने लगे थे।
2001 में क्यों बन गया खंडहर वहीं, आजाद भारत के दौर में भारत की सरकार ने केजीएफ की खादानों को अपने कब्जे में ले लिया और 1956 में इस खान का राष्ट्रीयकरण भी कर दिया गया और 1970 में भारत गोल्ड माइन्स लिमिटेड कंपनी ने वहां पर काम करना शुरू किया। शुरुआत में इन खादानों से सरकार को काफी फायदा हुआ लेकिन 80s का दौर आते-आते कंपनी नुकसान में पहुंच गई और तो और कंपनी के पास अपने मजदूरों के हक के पैसे देने के लिए भी आमदनी नहीं बची। फिर 2001 में यहां पर खुदाई बंद करने का फैसला किया गया और कोलार गोल्ड फील्ड्स खंडहर बन गए। कई रिपोर्ट्स में ये दावा किया गया जाता रहा है कि केजीएफ में आज भी सोना मौजूद है।