निर्माता संदीप सिंह एक बार फिर से इंटरनेशनल फेम स्टार भारतीय अभिनेता रणदीप हुड्डा के साथ उनकी महत्वाकांक्षी फिल्म ‘स्वतंत्र वीर सावरकर’ (Veer Savarkar) पर फिर से जुड़ चुके हैं। निर्माता आनंद पंडित और संदीप सिंह ने रणदीप को अपनी फिल्म स्वतंत्र वीर सावरकर भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के गुमनाम नायक के रूप में आखिरकार चुन लिया हैं।
रणदीप हुड्डा ने सोशल मीडिया इंस्टाग्राम पर इसकी घोषणा करते हुए लिखा, “कुछ कहानियाँ बताई जाती हैं और कुछ जी जाती हैं! स्वतंत्रवीर सावरकर की बायोपिक का हिस्सा बनकर आभारी, उत्साहित और सम्मानित महसूस कर रहा हूँ।” रणदीप हुड्डा ने इस किरदार के लिए चुने जाने पर कहा, “ऐसे कई नायक हैं, जिन्होंने हमें हमारी स्वतंत्रता दिलाने में अपनी भूमिका निभाई है। हालाँकि, सभी को उनका हक नहीं मिला है। विनायक दामोदर सावरकर इन गुमनाम नायकों में सबसे गलत समझे जाने वाले और प्रभावशाली स्वतंत्रता सेनानी हैं और उनकी कहानी जरूर बताई जानी चाहिए। स्वातंत्र्य वीर सावरकर के लिए ‘सरबजीत’ के बाद संदीप के साथ काम करके मुझे बेहद खुशी हो रही है। इसे निभाना एक चुनौती होगी।”
वहीं रणदीप हुड्डा के चुनाव को लेकर निर्माता संदीप सिंह ने कहा, “वीर सावरकर को भारतीय इतिहास के सबसे विवादास्पद पात्रों में से एक मानते हुए मैं केवल रणदीप के बारे में सोच सकता था। वीर सावरकर के योगदान को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। मुझे आश्चर्य है कि हमारी इतिहास की किताबों में वीर सावरकर का कभी उल्लेख क्यों नहीं किया गया?”
निर्देशक महेश वी मांजरेकर ने इस पर बात करते हुए कहा, “यह उन कहानियों को बताने का सही समय है, जिन्हें हमने नजरअंदाज किया था। स्वातंत्र्य वीर सावरकर एक ऐसा सिनेमा होगा, जो हमें अपने इतिहास को फिर से देखने के लिए मजबूर करेगा। मैं संदीप सिंह के साथ काम करना चाहता था और मुझे खुशी है कि हम इस फिल्म को एक साथ कर रहे हैं।”
फिल्म ‘स्वातंत्र वीर सावरकर’ की शूटिंग इसी साल जून से शुरू हो जाएगी। इसे लंदन, महाराष्ट्र और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के विभिन्न स्थानों पर शूट किया जाएगा। फिल्म एक अलग स्पेक्ट्रम से भारत के स्वतंत्रता आंदोलन को उजागर करेगी। निर्माता निर्माता संदीप सिंह कहते हैं, “भारत में बहुत कम अभिनेता हैं जो अपनी प्रतिभा से जादू बिखेर सकते हैं और रणदीप उनमें से एक हैं। वीर सावरकर को भारतीय इतिहास के सबसे विवादास्पद पात्रों में से एक मानते हुए मैं केवल रणदीप के बारे में सोच सकता था। वीर सावरकर के योगदान को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है, मुझे आश्चर्य है कि हमारी इतिहास की किताबों में वीर सावरकर का कभी उल्लेख क्यों नहीं किया गया?”