जितेंद्र की ज्वैलरी की दुकान से ही फिल्म के सेट पर ज्वैलरी के डब्बे जाया करते थे, जिनको पहुंचाने काम उनको ही मिला करता था. वो वहां डब्बे पहुंचाने के बाद घंटों खड़े हो कर शूटिंग देखा करते थे. जितेंद्र ने बताया था कि उस समय में उनके घर की हालत ठीक नहीं थी.
ऐसे ही एक बार जीतेंद्र फिल्म के सेट पर ज्वैलरी के डब्बे पहुंचाने गए जहां वो शूटिंग देखना चाहते थे, लेकिन स्टूडियो के बाहर खड़े एक शख्स ने उन्हें टोका और कहा कि तुम अंदर नहीं जा सकते. अगर जाना है तो एक रोल करना होगा अर्जेंट चाहिए. वो पहली बार था, जब उनको फिल्म ‘नवरंग’ के लिए प्रिंस का रोल मिला था, लेकिन जब वो शूटिंग के लिए गेट-अप लेकर पहुंचे तो वहां पहले से ही कई लोग लाइन में लगे थे.
ऐसे ही एक बार जीतेंद्र फिल्म के सेट पर ज्वैलरी के डब्बे पहुंचाने गए जहां वो शूटिंग देखना चाहते थे, लेकिन स्टूडियो के बाहर खड़े एक शख्स ने उन्हें टोका और कहा कि तुम अंदर नहीं जा सकते. अगर जाना है तो एक रोल करना होगा अर्जेंट चाहिए. वो पहली बार था, जब उनको फिल्म ‘नवरंग’ के लिए प्रिंस का रोल मिला था, लेकिन जब वो शूटिंग के लिए गेट-अप लेकर पहुंचे तो वहां पहले से ही कई लोग लाइन में लगे थे.
यह भी पढ़ें
देव आनंद के इस ‘महामंत्र’ ने संभाला था राजेश खन्ना का गिरता करियर ग्राफ, फिर ऐसे फ्लॉप से हिट हुईं काका की फिल्में
जितेंद्र आगे बताते हैं कि ‘लाइन में लगने के बाद फिल्ममेकर वी शांताराम ने जीतेंद्र को स्क्रीनटेस्ट के लिए बुलाया, जिसके बाद वो स्क्रीनटेस्ट देकर सीधा राजेश खन्ना के पास पहुंचे, जो उन दिनों थिएटर आर्टिस्ट थे’. उन्होंने जितेंद्र को कुछ एक्टिंग के टिप्स दिए. दोनों ने कॉलेज की कैंटीन में बैठ कर रिहर्सल भी की. जीतेंद्र ने आगे बताया कि ‘अगले दिन वो पूरी तैयारी के साथ सेट पर पहुंचे, तो शांताराम जी ने कुछ अलग डायलॉग दे दिए. अब नया डायलॉग वो बोल नहीं पाए और नर्वस हो गए’.जितेंद्र कहते हैं कि ‘खैर जो भी होता है अच्छे के लिए होता है और आज के समय में मैं जो भी हूं उसके लिए खुश हूं.’ बता दें कि जितेंद्र ने ये सभी बातें टीवी शो इंडियन आइडल में बताया था. साथ ही उन्होंने ये भी बताया कि राजेश खन्ना और वो एक साथ एक ही कॉलेज में पढ़ा करते थे.