आपको बता दें राज कपूर धार्मिक प्रवृत्ति के इंसान थे। वो खुद एक रूढ़ीवादी सोच के शिकार थे, अपने इसी धार्मिक विश्वास के कारण उन्होंने किसी के कहने पर फिल्म ‘सत्यम शिवम सुंदरम’ से पहले नॉन-वेज खाना और शराब पीना बंद कर दिया था। और रही बात उनके गानों कि तो वो अपनी फिल्मों के गानों के लिए किन्नरों से सलाह-मशवरा किया करते थे। उन दिनों राज कपूर की पार्टियाम बॉलीवुड में काफी चर्चा का विषय हुआ करती थीं। उनके घर पर आए दिन कई पार्टियां हुआ करती थीं, जिनमें सबसे ज्यादा मशहूर होली की पार्टी होती थी।
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होली वाले दिन पूरा बॉलीवुड राज कपूर की पार्टी में शामिल हो जाता था। ये बात आप शायद ही जानते होगें कि आर के स्टूडियों में होने वाली पार्टी में किन्नरों को खासतौर पर न्यौता दिया जाता था। उस पार्टी में किन्नर जमगर नाचते और गाते थे। उस दौरान राज कपूर अपनी फिल्मों के गाने सुनाया करते थे। अगर गाना किन्नरों को पसंद नहीं आता था तो वो उस गाने को रिजेक्ट कर देते थे।
गानों को लेकर एक ऐसा ही किस्सा फिल्म ‘राम तेरी गंगा मैली’ के साथ जुड़ा है। उस फिल्म का गाना राज कपूर ने किन्नरों को सुनाया, तो किन्नरों ने गाने को सुनते हीं रिजेक्ट कर दिया। फिर इस फिल्म के लिए दूसरे गाने बनाने की सलाह दी। जिसके बाद संगीतकार रविन्द्र द्वारा गाना ‘सुन साहिबा सुन’ बनाया गया, जिसे सुनकर किन्नर खुश हो गए। और देखिए इस फिल्म के गानों ने लोगों के दिलों दिमाग पर अपनी छाप छोड़ देते हैं, लोगों की जुबान पर ये गाने रहते हैं और अक्सर गुनगुनाते दिखाई दे जाते हैं।
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