राजकुमार एक ऐसे एक्टर थे जिन्होंने बेहद अलग अंदाज में अपनी जिंदगी जी और कभी किसी चीज की परवाह नहीं की। वह इंडस्ट्री के सबसे बेबाक और मुंहफट कलाकार थे। उन्होंने कभी इस बात की परवाह नहीं की कि कौन उनसे नाराज़ है और कौन खुश, वो बस अपना काम करते गए।
पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में 8 अक्टूबर 1926 को जन्मे राजकुमार स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद मुंबई के माहिम थाने में सब-इंस्पेक्टर के रूप में काम करने लगे थे। जी हां राजकुमार एक पुलिस की नौकरी किया करते थे, मगर उन्होंने अपनी नौकरी छोड़कर फिल्मी जगता में नाम कमया और उस मुकाम पर पहुंच गए, जहां उनके जाने के बाद भी वो लोगों के दिलों में अब तक जिंदा हैं। मगर उन्होंने मरने से पहले ऐसी डिमांड कर दी थी कि लोग देखते रह गए।
राजकुमार कि एक आदत थी कि वो किसी से भी मजाक कर लेना, किसी का भी मजाक उड़ा देना इन सब बातों पर राजकुमार ज्यादा सोच विचार नहीं करते थे। उन्हें इस बात से फर्क ही नहीं पड़ता था कि कौन उनसे नाराज है और कौन खुश वह बस अपना काम संजीदगी से करते थे और दुनिया उनके हुनर की कायल थी। मगर मरने से पहले उन्होंने सबको यह सख्त हिदायत दे दी थी कि उनके अंतिम संस्कार में फिल्म इंडस्ट्री और मीडिया से कोई भी शामिल न हो।
अब आप सोच रहे होंगे कि ऐसा उन्होंने क्यों कहा, तो चलिए आपको बताते हैं। राजकुमार की सुपरहिट फिल्म ‘तिरंगा’ के निर्देशक मेहुल कुमार ने इसकी वजह बताई थी। राजकुमार ने मेहुल को बताया था कि वह नहीं चाहते कि उनकी अंतिम यात्रा में कोई शामिल हो। वो नहीं चाहते कि उनका अंतिम संस्कार एक मजाक बनकर रह जाए। हुआ ये था कि राज कुमार मेहुल कुमार की फिल्म, ‘मरते दम तक’ में अपनी मौत का सीन फिल्मा रहे थे। मेहुल ने अपने एक इंटरव्यू में इस बात का जिक्र किया। उन्होंने कहा,”फिल्म में एक सीन के दौरान उनकी शमशान यात्रा निकली तो उन्हें गाड़ी में सुलाया गया। मैंने उन्हें फूल माला पहनाई तो उन्होंने कहा कि जानी अभी पहना लो हार जब जाएंगे तो आपको पता भी नहीं चलेगा कि कब हम गए।”
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मेहुल ने आगे बताया, “उस समय तो मैंने कुछ ज्यादा रिएक्ट नहीं किया लेकिन शूटिंग खत्म हुई तो रात को मैंने उनसे पूछा था कि उन्होंने ऐसा क्यों कहा। तब राजकुमार ने कहा कि जानी तुमको मालूम नहीं, हमारी शमशान यात्रा को लोग तमाशा बना देते हैं। अच्छे- अच्छे सफेद कपड़े पहनकर आएंगे लोग, फिर मीडिया वाले इतने आते हैं। एक मरे हुए आदमी को रिस्पेक्ट देने के बजाए, उसे एक मजाक, तमाशा बना दिया जाता है। मेरी शमशान यात्रा मेरा पारिवारिक मामला है, उसमें मेरे परिवार के सिवा कोई नहीं होगा।” जब राजकुमार ने इस दुनिया को अलविदा किया तो उन्होंने इस बात को सच साबित भी किया। उनकी जब मृत्यु हुई तब उनकी कोई शमशान यात्रा नहीं निकली थी और किसी को पता भी नहीं चला कि उनका अंतिम संस्कार कैसे और कहां हुआ। उनकी अंतिम यात्रा गुपचुप तरीके से हुई जिसमें सिर्फ उनके परिवार के लोग शामिल हुए।
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