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पेंटर बनना चाहते थे प्रकाश झा, घर छोड़ने पर पिता ने नहीं की 5 साल तक बात, अब बन चुके हैं सफल डॉयरेक्टर

प्रकाश झा ने एक इंटरव्यू के दौरान बताया था कि, जिस वक्त लोग आईएएस और आईपीएस बनना चाहते थे उस वक्त वो पेंटर बनना चाहता था।

Feb 28, 2022 / 07:24 pm

Sneha Patsariya

हिंदी सिनेमा के दिग्गज प्रोड्यूसर और डायरेक्टर प्रकाश झा ने अपनी मेहनत के बलबूते पर इंडस्ट्री में एक बड़ा मुकाम हासिल किया है। 27 जनवरी 1952 को बिहार के चंपारण में जन्में प्रकाश झा ने सैनिक स्कूल तिलैया से अपनी शुरुआती पढ़ाई पूरी करने के बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी के रामजस कॉलेज में दाखिला लिया। पेंटर बनने के सपने को पूरा करने के लिए निर्देशक ने स्नातक की पढ़ाई को बीच में ही छोड़कर मुंबई आने का फैसला किया।
मुंबई पहुंचने के बाद प्रकाश झा ने जेजे स्कूल ऑफ आट्र्स जॉइन किया और अपनी पेंटिंग स्किल्स को निखारने में व्यस्त हो गए। एक दिन उन्होंने मुंबई में चल रही फिल्म ‘ड्रामा’ की शूटिंग देखी। उन्हें इतना मजा आया कि उन्होंने अपना पेंटर बनने का ईरादा बदल दिया और निर्देशक बनने की ओर कदम बढ़ाने लगे। प्रकाश झा ने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत फिल्म ‘हिप हिप हुर्रे’ से की थी। इसके बाद उन्होंने ‘मृत्युदंड’, ‘ये साली जिंदगी’, ‘चक्रव्यूह’, ‘ गंगाजल’, ‘परीक्षा द फाइनल टेस्ट’, ‘सांड की आंख’, ‘राहुल’, ‘मुंगेरीलाल के हसीन सपने’, ‘दिल क्या करे’ और ‘आश्रम’ जैसी कई सुपरहिट फिल्में बनाई। आइए जानते हैं प्रकाश झा के जीवन से जुड़ी कुछ खास बातें..
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कहा जाता है कि, करियर की शुरुआत में प्रकाश झा के पास रेंट और पेट भरने तक के पैसे नहीं थे। एक इंटरव्यू के दौरान प्रकाश झा ने अपने संघर्ष की कहानी को बताते हुए कहा था कि, उनकी जिंदगी में ऐसे दौर भी था जब उनकी जेब में महज 300 रुपए थे। उनके जुनून की वजह से घरवालों से भी उनके रिश्ते खराब हो गए थे, जिसकी वजह से उन्होंने घरवालों से भी पैसे लेना बंद कर दिया था। ऐसे में उन्हें मुंबई के जुहू बीच के फुटपाथ पर कई रातें गुजारनी पड़ी। इतना ही नहीं बल्कि प्रकाश झा ने करीब 5 साल तक अपने घरवालों से बात तक नहीं की थी।
प्रकाश झा की पर्सनल लाइफ की बात करें तो उन्होंने 1985 में एक्ट्रेस दीप्ति नवल से शादी की। लेकिन शादी के 17 साल बाद दोनों अलग हो गए। दोनों ने एक बेटी गोद ली थी, जिसका नाम दिशा है। दिशा भई अपने पिता की तरह फिल्म मेकिंग का काम रती है। प्रकाश झा ने फिल्मों के अलावा राजनीति में भी कदम रखा। वो तीन बार चुनाव लड़ चुके हैं। 2004 लोकसभा चुनाव में उन्होंने चंपारण से चुनाव लड़ा था। इस चुनाव में वो हार गए थे। प्रकाश झा ने अपनी ज्यादातर फिल्मों में अजय देवगन को मौका दिया। ये कहना गलत नहीं होगा कि झा ने अजय के करियर को संवारा। दोनों ने फिल्म गंगाजल, राजनीति, अपहरण, सत्याग्रह जैसी फिल्मों में साथ काम किया। फिल्म गंगाजल को कई नेशनल अवॉर्ड भी मिले।
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