मेरा सपना था कि मैं FTII जाऊं मधुर ने बताया था कि मेरा सपना था कि मैं FTII जाऊं और वहां से कोर्स करूं, कोशिश भी की। लेकिन मैं ग्रेजुएट नहीं था। टेक्निकल स्किल्स की वजह से मैं पीछे रह गया था। कंप्यूटर चलाना भी नहीं आता था मुझे, आज भी नहीं आता।
उन्होंने आगे बताया था कि ऐसे में मुझे लगा कि मैं डायरेक्टर बनना चाहता हूं। जिसके बाद मैंने कई छोटे मोटे फिल्म डायरेक्टर्स को जॉइन किया और उन्हें असिस्ट किया। तो वहां मुझे 30 रुपए मिल जाते थे। कन्वेंस में काम मिलता था। हमको बुलाया जाता था कि आ जाओ, तो हम वहां पर एक्टर के पीछे सेंडल पकड़ कर खड़े हो जाते थे, कभी पोछा मार दिया तो कभी लाइट पकड़कर खड़े हो गए। थर्माकोल लेकर खड़े हो गए, एक्टर को जाकर बुलाओ रूम से… ये चीजें करीं।
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मधुर ने बताया था कि जब मैं अपने आप को पीछे मुड़कर देखता हूं, मुझे बहुत बुरा लगता था और अभी भी लगता है। लेकिन मैं यूथ से कहता हूं कि ये मत सोचो कि मधुर भंडारकर ने पढ़ाई नहीं की, फिर भी वो द मधुर भंडारकर बन गया। मैं चाहूंगा कि आप पढ़ें और आगे बढ़ें।