इंपीरियल फिल्म कंपनी से जुड़े तो साइलेंट फिल्मों में काम मिलने लगा। पहली फिल्म बेधारी तलवार में उन्हें फीस नहीं मिली, लेकिन उनके अभिनय को देखकर इन्हें दूसरी फिल्म सिनेमा गर्ल के लिए 70 रुपए मिले थे। जब पहली बोलती फिल्म आलम आरा बनी तो वह बोलती फिल्मों के पहले खलनायक बने। इसके बाद साल 1941 में उन्होंने सोहराब मोदी की फिल्म सिकंदर में काम किया। साल 1951 में आई फिल्म आवारा में उन्होंने पहली बार अपने बेटे राज कपूर के साथ काम किया था।साल 1944 में पृथ्वीराज कपूर ने ‘पृथ्वी थिएटर’ की नींव रखी।
1960 में बनी फिल्म मुगले आजम में पृथ्वीराज कपूर ने अकबर का किरदार निभाया था। पृथ्वीराज कपूर ने अपनी एक्टिंग से अकबर के किरदार को अमर बना दिया था। आसिफ जब मुगल-ए-आजम बना रहे थे तो वो किसी भी हालत में पृथ्वीराज कपूर को लेना चाहते थे। उन्होंने पृथ्वी को एक ब्लैंक चेक दिया और कहा जो चाहे वो रकम लिख लो। हैरानी की बात ये रही कि पृथ्वीराज ने फिल्म के लिए महज 1 रुपए फीस ली।
योगराज टंडन ने अपनी किताब में लिखा, ‘के आसिफ ने कहा कि पहले बताइए इसमे कुल रकम कितनी लिखूं। पृथ्वीराज कपूर ने कहा अच्छा आप कोई रकम लिख लो, मुझे मंजूर होगा।’
योगराज टंडन के मुताबिक, के आसिफ ने पृथ्वीराज कपूर से कहा ‘दिलीप कुमार, मधुबाला, दुर्गा खोटे सबने अपनी कीमत लगाई है फिर आप क्यों..? नहीं मेरी कीमत तुम खुद लगाओगे। के आसिफ ने पूछा राज ने आवारा में आपको क्या दिया। पृथ्वीराज कपूर ने कहा-‘पचास हजार।’
योगराज टंडन के मुताबिक, के आसिफ ने पृथ्वीराज कपूर से कहा ‘दिलीप कुमार, मधुबाला, दुर्गा खोटे सबने अपनी कीमत लगाई है फिर आप क्यों..? नहीं मेरी कीमत तुम खुद लगाओगे। के आसिफ ने पूछा राज ने आवारा में आपको क्या दिया। पृथ्वीराज कपूर ने कहा-‘पचास हजार।’
के आसिफ ने कहा, ‘मैं 75 हजार लिख दूं।’ एक्टर ने कहा- ‘जैसा आप सही समझो।’ डायरेक्टर ने जब पृथ्वीराज कपूर को एडवांस रकम लिखने को कहा तो पृथ्वीराज कपूर ने कहा- ‘एक रुपए।आसिफ, मैं आदमियों के साथ काम करता हूं, व्यापारियों या मारवाड़ियों के साथ नहीं।’
बीबीसी में छपी खबर के मुताबिक इतनी बड़ी फिल्म के लिए पृथ्वीराज कपूर ने जब 1 रुपये लिए तो के. आसिफ भावुक हो गए थे। भारत सरकार इन्हें पद्म भूषण सम्मान से नवाज चुकी है। साथ ही, इन्हें दादा साहब फाल्के पुरस्कार से भी नवाजा जा चुका है।