‘पहले नेगेटिव किरदारों की जरूरत नहीं थी’
प्रेम चोपड़ा ने कहा कि पहले की फिल्मों में नेगेटिव किरदारों के होने की जरूरत नहीं बताई जाती थी। उन्होंने 1973 में राज कपूर की निर्देशन में आई फिल्म ‘बॉबी’ को मिसाल दी, जिसमें ऋषि कपूर और डिंपल कपाड़िया मुख्य भूमिका में थे।
प्रेम चोपड़ा ने कहा कि पहले की फिल्मों में नेगेटिव किरदारों के होने की जरूरत नहीं बताई जाती थी। उन्होंने 1973 में राज कपूर की निर्देशन में आई फिल्म ‘बॉबी’ को मिसाल दी, जिसमें ऋषि कपूर और डिंपल कपाड़िया मुख्य भूमिका में थे।
‘हम पर बुरे लोग होने का ठप्पा लगा जाता था’
प्रेम चोपड़ा ने अपने इंटरव्यू में बताया, “उन दिनों, हम पर बुरे लोग होने का ठप्पा लगा दिया जाता था… यह सीधे तौर पर था, चाहे प्रेम चोपड़ा, अमरीश पुरी, प्राण साहब या कोई और हो।”
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‘एनिमल’ में नेगेटिव रोल की सराहना
चोपड़ा ने ‘एनिमल’ में बॉबी देओल और रणबीर कपूर की सराहना की और कहा, “जैसे बॉबी में मेरा सिर्फ एक डायलॉग था और वह बहुत लोकप्रिय हो गया।
नेगेटिव रोल्स का आजकल अंतर
प्रेम चोपड़ा ने बताया कि आजकल हर नेगेटिव रोल के पास एक कारण होता है और वह कैसे और क्यों विलन बना है।
‘एनिमल’ में प्रमुख भूमिका में
चोपड़ा ने ‘एनिमल’ में रणबीर कपूर के दादा के बड़े भाई का किरदार निभाया है। 60 साल लंबे करियर के दौरान चोपड़ा ने ‘दो रास्ते’, ‘पूरब और पश्चिम’, ‘तीसरी मंजिल’, ‘कटी पतंग’, ‘सौतन’ और ‘त्रिशूल’ जैसी कई फिल्मों में काम किया है।
प्रेम चोपड़ा ने अपने इंटरव्यू में बताया, “उन दिनों, हम पर बुरे लोग होने का ठप्पा लगा दिया जाता था… यह सीधे तौर पर था, चाहे प्रेम चोपड़ा, अमरीश पुरी, प्राण साहब या कोई और हो।”
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‘एनिमल’ में नेगेटिव रोल की सराहनाचोपड़ा ने ‘एनिमल’ में बॉबी देओल और रणबीर कपूर की सराहना की और कहा, “जैसे बॉबी में मेरा सिर्फ एक डायलॉग था और वह बहुत लोकप्रिय हो गया।
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