कई फिल्मों में ये उनका तकिया कलाम हुआ करता था. अपने करियर में प्राण ने अच्छे और बुरे दोनों किरदारों में दर्शकों पर अपनी छाप छोड़ी है. प्राण साल 1947 को अपनी पत्नी और एक साल के बेटे के साथ लाहौर से मुंबई आए थे और फिर यहीं के होकर रह गए. बताया जाता है कि देश के बटवारें के समय उनका पालतू कुत्ता खो गया, जिसे वो बेहद प्यार करते थे. कहा जाता है कि उस कुत्ते की याद में प्राण अक्सर रोया भी करते थे. मुंबई आने के बाद प्राण को हसन मंटो की मदद से साल 1948 में शहीद लतीफ़ की फिल्म ‘जिद्दी’ में काम करने का मौका मिला था.
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काफी कम लोग जानते होंगे कि प्राण का पूरा नाम प्राण कृष्ण सिकंद है. प्राण कभी भी एक एक्टर नहीं बनना चाहते थे. दरअसल, प्राण एक फोटोग्राफर बनना चाहते थे जिसके लिए उन्होंने दिल्ली के ‘अ दास एंड कंपनी’ में फोटोग्राफी सीखने के लिए नौकरी की थी, लेकिन उनकी किस्मत में एक्टर बनना ही लिखा था. वहां रहने के दौरान उनको रामलीला में काम करने का मौका मिला और उनका इंटरेस्ट एक्टिंग में आने लगा, लेकिन अपने पिता को अपने एक्टिंग करियर के बारे में बताने की हिम्मत उनमें नहीं थी. पिता के साथ-साथ प्राण का पूरा परिवार उनकी एक्टिंग के खिलाफ था. वो अपने पिता से इतना डर गए थे कि अपने पहले ब्रेक के बारे में भी उन्होंने किसी को नहीं बताया. जब साल 1940 में उन्हे पंजाबी फिल्म ‘यमला जट’ में काम करने का मौका मिला तब हिम्मत करके उन्होंने अपनी एक्टिंग के बारे में पिता को बताया. धीरे-धीरे एक्टिंग के लिए उनका प्यार इतना बढ़ गया कि उन्होंने सिर्फ 1 रुपये में फिल्म ‘बॉबी’ साइन की थी. खास बात ये है कि उस वक्त में बताया जाता था कि उन्हें राजेश खन्ना (Rajesh Khanna) और अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) से भी ज्यादा फीस मिलती थी.
बता दें कि कई फिल्मों में लगातार खलनायक की भूमिका निभाने के बाद उन्होंने अमिताभ बच्चन के साथ फिल्म ‘जंजीर’ (Zanjeer) में काम किया, लेकिन इस रोल के लिए प्राण से पहले देव आनंद (Dev Anand) , राज कुमार (Rajkumar) और धर्मेंद्र (Dharmendra) जैसे सुपरस्टार्स को ऑफर किया गया था. फिर उम्र की वजह से उन्होंने साल 1990 से फिल्मों में काम करना बंद कर दिया और साल 2013 में 12 जुलाई को उन्होंने अपनी आखिरी सांस ली.