बॉलीवुड

Paurashpur Review : ‘पौरुषपुर’ ने हद पार कर दी ‘गंदी बातों’ की, पूछो न क्यों ये सीरीज बनाई

एकता कपूर ( Ekta Kapoor ) की नई पेशकश में भी अश्लील दृश्यों की भरमार
कहानी जितनी बनावटी है, घटनाएं उससे चार गुना बनावटी
किन्नर बने मिलिंद सोमन ( Milind Soman ) कमनीय कम, दयनीय ज्यादा लगे

Dec 30, 2020 / 09:16 pm

पवन राणा

-दिनेश ठाकुर

अकबर इलाहाबादी कहते थे, ‘जब तोप मुकाबिल हो तो अखबार निकालो।’ हॉलीवुड में कभी यह मुहावरा खूब चला कि जब कुछ न सूझे तो डाकुओं पर फिल्म बनाओ। इसी तर्ज पर आजकल एकता कपूर ( Ekta Kapoor ) का नारा है कि अगर कोई टॉपिक नहीं मिले तो अश्लीलता से भरपूर वेब सीरीज बनाओ। उनके कारखाने में ऐसी उलजुलूल वेब सीरीज का धड़ाधड़ उत्पादन हो रहा है। मैडम गलतफहमी में हैं कि ओटीटी से जुड़े दर्शक फूहड़ सेक्स देखना चाहते हैं। हवा, पानी और भोजन की तरह सेक्स भी जिंदगी के लिए जरूरी है। लेकिन जब किसी कला में उसका इस्तेमाल होता है, तो एक स्वस्थ तर्क की मांग उठती है। यह तर्क अश्लीलता के साए से कला की हिफाजत करता है। एकता कपूर को तर्क से क्या लेना-देना। वे भरपूर अश्लीलता दिखाने के बहाने ढूंढती हैं। दो साल पहले की अपनी वेब सीरीज ‘गंदी बात’ से यही कर रही हैं। ओटीटी प्लेटफॉर्म पर आई उनकी नई वेब सीरीज ‘पौरुषपुर’ ( Paurashpur Web Series ) गंदी बातों की हद पार कर गई है। अजीबो-गरीब किरदारों (इनमें कई समलैंगिक हैं) वाला यह फूहड़ तमाशा ढाई घंटे की मानसिक यंत्रणा से कम नहीं है।

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पीरियड ड्रामे के नाम पर मनमानी
इस तथाकथित पीरियड ड्रामे में सोलहवीं सदी की किसी पौरुषपुर रियासत की कहानी है। यह रियासत भारत में कहां थी, वेब सीरीज बनाने वाले भी नहीं जानते। वहां एक तरफ महिलाओं पर जुल्म होते हैं, दूसरी तरफ महिलाओं का झुंड घूमर जैसा डांस करता रहता है। रियासत का रंगीन मिजाज वृद्ध राजा (अन्नू कपूर) शादी पर शादी कर रहा है। हर नई रानी कुछ दिन बाद गायब हो रही है। मानसिक रूप से विक्षिप्त इस राजा से तमाम रियासत की महिलाएं परेशान हैं। राजा सिर्फ एक किन्नर (मिलिंद सोमन) से पंगा नहीं लेता। क्यों नहीं लेता, वेब सीरीज बनाने वाले भी नहीं जानते। इन्हें तो राजा के किस्म-किस्म के जुल्म दिखाकर महिलाओं की बगावत के लिए जमीन तैयार करनी है।

हर किरदार पैदा करता है उलझन
क्या दिखाना है और कैसे दिखाना है, इसको लेकर सीरीज बनाने वाले शुरू से आखिर तक भ्रम में लगते हैं। हर दूसरे सीन में कोई नया किरदार एंट्री लेता है और कहानी को उलझा कर गायब हो जाता है। यह सिलसिला क्लाइमैक्स तक चलता है। जब घटनाओं का कोई सिरा हाथ नहीं आया, तो महिलाओं के झुंड से राजा का बैंड बजवा कर किस्सा खत्म कर दिया गया। सीरीज एक तरफ महिलाओं की ताकत का दम भरती है, दूसरी तरफ ‘औरतें या तो चुनौती देती हैं या चिंता’ जैसे संवादों से महिलाओं का उपहास उड़ाती है। ‘पौरुषपुर’ बनाने वाले जाने क्या कहना या साबित करना चाहते हैं। सात कडिय़ों वाली इस वेब सीरीज में भव्य सेट्स बनाने पर जितनी मेहनत की गई है, उतनी पटकथा को संवारने पर की जाती तो शायद थोड़ी-बहुत लाज रह जाती।

सभी की एक्टिंग घोर बनावटी
कहानी जितनी बनावटी है, घटनाएं उससे चार गुना बनावटी हैं। कलाकारों की एक्टिंग भी घोर बनावटी है। अन्नू कपूर पर जब निर्देशक का नियंत्रण नहीं होता, तो वे कितनी फेल-फक्कड़ करते हैं, यह हम कई फिल्मों में देख चुके हैं। ‘पौरुषपुर’ में फिर देख लिया। गोवा के बीच पर ‘फ्रीस्टाइल दौड़’ लगाने वाले मिलिंद सोमन कान में बालियां और नाक में नथ पहनकर यहां कमनीय कम, दयनीय ज्यादा लगे। मुख्तसर यह कि इस सीरीज में ऐसा कुछ नहीं है, जिसके लिए ढाई घंटे बर्बाद किए जाएं।

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