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मोहनीश ने बताया, ‘मैं उनकी फिल्में ज्यादा नहीं देखता। क्योंकि जितना मैं देखूंगा उतना ही उन्हें मिस करुंगा। और उन्होंने काफी गंभीर फिल्में भी की हैं। जिससे मैं ज्यादा आइडेंटीफाई नहीं कर पाता। मैं उन्हें पर्दे पर ही सही, लेकिन तकलीफ सहते हुए नहीं देख सकता। मेरी मां एक प्रशिक्षित क्लासिकल डांसर थीं। मैं उनके तमाम शोज पर जाता था। कई बार कश्मीर जैसी जगहों पर आउटडोर शूटिंग होती थी तब भी मैं उनके साथ जाता था। मुझे देव साहब, राज अंकल और सुनील दत्त साहब के साथ उनकी जोड़ी अच्छी लगती है।’
नूतन के आखिरी दिनों के बारे में बात करते हुए मोहनीश ने बताया, ‘वो बेहद बहादुर और आध्यातिमक थीं। कैंसर जैसी बीमारी का उन्होंने बहादुरी से सामना किया। जब उन्हें कैंसर का पता चला तो वो मायूस नहीं हुईं। उन्होंने कैंसर से पहली जंग जीत भी ली थी। लेकिन उसके बाद कैंसर ने उनके लिवर पर आक्रमण किया। हमने जब दोबारा डॉक्टर से जांच कराई तब तक वो काफी फैल चुका था और वो बच ना पाईं।’
मोहनीश ने अपने कॅरियर के बारे में बात करते हुए कहा,’ उन्होंने मेरी फिल्में ‘मैंने प्यार किया’ और ‘बागी’ देखीं। उन्हें मेरा काम पसंद आया। तब भी वो मेरी हिम्मत बढ़ाती रहती थीं। रात के डेढ़-दो बजे तक हम मां-बेटे साथ में बैठे रहते। उन्होंने मुझे एक ही शिक्षा दी थी कि कैमरे के सामने हमेशा ईमानदार रहना और हमेशा जो दिल में हो वही करना। मैं भी अपने बच्चों को यही सलाह देता हूं।’