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सेहत खराब होने की वजह से वॉचमैन की नौकरी से दिया गया था निकाल, अब बन गया है बॉलीवुड स्टार

बॉलीवुड की दुनिया में आना और अपनी एक्टिंग का लोह मनवाना कोई अगर किसी से सिखना चाहता है तो वो एक्टर नवाजुद्दीन सिद्दीकी से सिखे। बॉलीवुड में अगर अपना नाम कमाना है तो उसके लिए काफी मेहनत करनी पड़ती है और एक्टर्स के स्ट्रगल को देखकर आप इस बात का अंदाजा आसानी से लगा सकते हैं।

Feb 20, 2022 / 12:38 pm

Archana Keshri

सेहत खराब होने की वजह से वॉचमैन की नौकरी से दिया गया था निकाल, अब बन गया है बॉलीवुड स्टार

नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी की गिनती आज भले ही इंडस्ट्री के बेस्ट एक्टर्स में होती हो, लेकिन उनके लिए भी यहां तक पहुंचने का सफर इतना आसान नहीं रहा। फिल्मों में आने से पहले वो एक केमिस्ट की दुकान पर नौकरी करते थे। इसके बाद वे दिल्ली चले गए, जहां उन्होंने डेढ़ वर्षो तक वॉचमैन के तौर पर काम किया। बाद में वो मुंबई आ गए। यहां उन्होंने बॉलीवुड की फिल्मों में छोटी-मोटी भूमिकाएं कीं और काफी स्ट्रगल के बाद आज वो बॉलीवुड में अपना अलग मकाम बना पाए हैं।
बॉलीवुड में अगर उम्दा कलाकारों की फेहरिस्त तैयार की जाए तो उसमें नवाजुद्दीन सिद्दीकी का नाम तो जरूर ही शामिल होगा। अपनी शानदार एक्टिंग के बूते पर वो फैंस के दिलों में लंबे समय से छाए हुए हैं। लेकिन यहां तक पहुंचन के लिए नवाजुद्दीन ने काफी मेहनत भी की है। आज भले ही उनके चाहने वालों की कोई कमी नहीं है लेकिन एक वक्त ऐसा भी था जब उन्हें अपनी रोजमर्रा की जिंदगी को चलाने के लिए चौकीदारी तक करनी पड़ी थी।
नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने अपने सपनों को पूरा करने के लिए कई कठिनाइयों का सामना किया। कड़ी मेहनत के बाद ही आज नवाजुद्दीन सिद्दीकी का नाम पूरी दुनिया में छाया हुआ है। कई युवाओं के इंस्पिरेशन बन चुके नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने अपने समय पर कई स्ट्रगल किया है। एक ऐसा समय भी आया जब सिद्दकी रोटी-रोटी के मोहताज हो गए थे।
बता दें कि, नवाज के पिता एक किसान थे। बचपन से फिल्मों का शौक रखने वाले नवाजुद्दीन सिद्दीकी पैसे जमा करके शहर में मूवी देखने जाते थे। इसी सपने को पूरा करने के लिए नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने मुबंई को अपना घर बनाया। 5 साल तक सपनों की नगरी मुबंई में उन्होंने काफी स्ट्रगल किया। दिखने में ज्यादा अच्छे न होने के कारण उन्होंने कई रिजेक्शन भी झेले। लेकिन कहते है न सब्र का फल मीठा होता है, नवाज को एक फिल्म में आखिर काम मिला और उन्होनें उसमें काम किया। उनकी एक्टिंग से लोग उनके फैन बन गए। फिल्म में बड़ा रोल हासिल करने में उन्हें पूरे 12 साल लग गए। लेकिन जब काम मिला तो कुछ ही सालों में उस एक्टर ने देश से लेकर विदेश तक अपनी एक्टिंग का लोहा मनवाया।
उत्तर प्रदेश के छोटे से कस्बे बुढ़ाना में पैदा हुए नवाजुद्दीन सिद्दीकी की शक्ल-सूरत किसी भी आम भारतीय जैसी है, लेकिन अदाकारी का हुनर लाजवाब है। लेकिन उनकी किस्मत उन्हें आज इस मोड़ पर लेकर आ जाएगी, किसी ने भी नहीं सोचा था। नवाज जब छोटे थे तो उनके घर में टीवी नहीं हुआ करता था, सारा काम छोड़कर वो दूसरे के घर में जाकर टीवी देखा करते थे और यहीं से उनके मन में हीरो बनने के सपने ने जगह ले ली।
नवाजुद्दीन के मुताबिक, वह आठ भाई-बहनों में सबसे बड़े थे और उन्होंने अपनी ग्रेजुएशन हरिद्वार की एक यूनिवर्सिटी से साइंस में की। नौकरी की तलाश में वह दिल्ली पहुंचे और वहां उन्होंने पहली बार नाटक देखा। उन्हें नाटक उतना पसंद आया कि उन्होंने फिल्मों में काम करने का मन बना लिया। इसके बाद उन्होंने नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में एडमिशन लिया और नाटक में काम किया।
उन्होंने नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा से अभिनय की पढ़ाई पूरी की, इसके बाद वह किस्मत आजमाने मुंबई चले गए। नवाज को खुद कभी ये उम्मीद नहीं थी कि वे इतने ज्यादा मशहूर हो जाएंगे। नवाज ने एक्टिंग स्कूल में दाखिला तो जैसे तैसे ले लिया था, लेकिन उनके पास रहने को घर नहीं था तो उन्होंने यहां आकर चौकीदार की नौकरी कर ली। नवाज को यह नौकरी मिल तो गई लेकिन शारीरिक रूप से वह काफी कमजोर थे। इसलिए ड्यूटी पर वह अक्सर बैठे ही रहते थे। यही कारण था कि मालिक के देखने के बाद उन्हें नौकरी से हाथ धोना पड़ा।
नवाज अपने संघर्ष के दिनों में कुछ भी करने गुजरने को तैयार रहते थे। नवाज 1999 में मुबंई शिफ्ट हुए। मुबंई आने के बाद उन्होंने वेटर, चोर और मुखबिर जैसी छोटी- छोटी भूमिकाओं को करने में भी कोई शर्म महसूस नहीं की। एक्टर ने ‘शूल’, ‘मुन्नाभाई एमबीबीएस’ और ‘सरफरोश’ जैसी फिल्मों में ये छोटे-छोटे किरदार निभाए। छोटे-छोटे रोल से मन नहीं भरने के कारण नवाज ने टीवी सिरियल में हाथ आजमाया लेकिन उन्हें वहां भी कुछ हासिल नहीं हुआ।
उन्हें किसी भी तरह से कोई रोल मिल भी जाता, मगर इंडस्ट्री में उनके शुरुआती दिन बहुत मुश्किलों से गुजरे। उनका अभिनय पोकेटमार और धक्कामार तक ही सीमित रह जाता था। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और आश लगाए रखा कि कभी न कभी उन्हें बड़ी भूमिका करने के लिए जरूर मिलेगी। एक समय ऐसा भी आया जब उनके पास खाना खाने तक के लिए पैसे नहीं बचते थे। उन्हें एक बार तो ऐसा भी लगा की अब उन्हें गांव वापस चले जाना चाहिए, मगर ये सोच के रुक जाते कि आखिर क्या मूंह लेकर वहां वापस जाऊंगा।
एक बार डायरेक्टर अनुराग कश्यप ने उनका एक हिंदी नाटक देखा। उनकी ऐक्टिंग से प्रभावित होकर उन्हें थोड़ा बड़ा रोल ऑफर किया। इस रोल को नवाज ने बखुबी निभाया, बस यहीं से उन्हें सफलता मिलनी शुरू हो गई। अच्छे और बड़े रोल मिलने की वजह से उनके पैसों की समस्या काफी हद तक कम हो गई, मगर इससे वो संतुष्ट नहीं थे और अपना बेस्ट दे रहे थे।
नवाज की जुनूनियत को देखते हुए अनुराग कश्यप ने उन्हें साइड स्टार से स्टार बनाने का सोचा, और ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ में उन्हे लीड रोल के लिए साइन कर लिया। बस फिर क्या था इसके बाद नवाज ने पीछे मुड़ कर नहीं देखा। ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ में आने के बाद नवाज स्टार बन चुके थे। चाहे ‘बंदूकबाज’ में बाबू मोशाय का किरदार हो या ‘सेक्रेड गेम्स’ का गणेश गायतोंडे, सभी किरदारों से नवाज ने फैंस का दिल जीता है। आज जिस नवाज की मिसाल दी जाती है दरअसल वहां तक पहुंचने के लिए उन्होंने कड़ी मेहनत की है।

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अपनी कड़ी मेहनत के बाद नवाज ने अपने सपनों का महल बनाया जिसे तैयार होने में 3 साल लगे। नवाज के पास इस समय फोर्ड की एंडेवर और मर्सिडीज जीएलएस जैसी लग्जरी एसयूवी भी है। आपको बता दें कि, नवाब का नेट वर्थ 20 मिलियन डॉलर है।

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