आज के वक्त में जब साउथ की फिल्मों का बोलबाला है तब नवाजुद्दीन ने इस पर भी अपनी राय रखी और बताया कि क्यों साउथ की फिल्में छाई हुई हैं। हाल के दिनों में देखें तो ’पुष्पा’, ’आरआरआर ’ और फिर ’केजीएफ चैप्टर 2’ ने कमाई के रिकॉर्ड बनाए हैं। यही नहीं इन फिल्मों के आगे हिन्दी फिल्में भी फीकी पड़ती दिखीं। नवाजुद्दीन ने बताया कि वह बॉलीवुड की कौन सी 3 चीजें बदलना चाहते हैं।
दरहसल हाल ही में एक इंटरव्यू के दौरान नवाजुद्दीन से पूछा गया कि बॉलीवुड की कौन सी 3 चीजें बदलना चाहते हैं, इस पर उन्होंने कहा, ’पहले तो इसका नाम ही बदलूंगा, हिन्दी फिल्म इंडस्ट्री रखो ना। दूसरा हमारे पास जो स्क्रिप्ट आती है वह रोमन में आती है। उसे याद करना बहुत मुश्किल हो जाता है तो मैं देवनागरी में मांगता हूं। वह कहते हैं, ’तीसरा ये कि आस-पास का जो माहौल है ना, डायरेक्टर-असिस्टेंट डायरेक्टर हर कोई इंग्लिश में बात कर रहा होता है। एक्टर के समझ में ही नहीं आ रहा… सीधा-सीधा बोल दे ना यार… उससे क्या है कि परफॉर्मेंस पर भी असर पड़ता है।’ नवाजुद्दीन ने आगे कहा, ’जैसे साउथ की एक अच्छी बात है कि तमिल में बात करते हैं, गर्व महसूस करते हैं, कन्नड़ है तो गर्व से बात करते हैं। अब जो वहां पर हैं राइटर्स, डायरेक्टर्स, मेकअप आर्टिस्ट वो वहां की भाषा में बात कर रहे हैं। तमिल है तो तमिल, कन्नड़ है तो कन्नड़ या मलयाली में बात कर रहे हैं। तो उनका जो माहौल बनता है अलग तो होगा ना… सबको समझ आ रहा है सबकी बातें… हमारे यहां ऐसा है डायरेक्टर पता नहीं क्या कह रहा, असिस्टेंट कुछ और कह रहा है, एक्टर जिसे इंग्लिश समझ नहीं आ रही उसे पता ही नहीं हो क्या रहा है।’
आपको बता दें नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने अपने करियर की शुरुआत साल 1999 में आई आमिर खान की फिल्म ‘सरफरोश’ से किया था। इसके बाद वह राजकुमार हिरानी की फिल्म ‘मुन्नाभाई एमबीबीएस में भी एक बहुत ही छोटे से किरदार में दिखें। लेकिन अनुराग कश्यप की फिल्म ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर और गैंग्स ऑफ वासेपुर 2 ने नवाजुद्दीन सिद्दीकी के करियर को एक नया मुकाम दिया। इस फिल्म के बाद नवाजुद्दीन ने अपने करियर में कभी भी पीछे पलटकर नहीं देखा और उन्होंने बदलापुर, रमन राघव 2.0, किक, द लंचबॉक्स, पतंग, मंटो, फोटोग्राफ जैसी कई शानदार फिल्मों में काम किया। नवाजुद्दीन सिद्दीकी जल्द ही कंगना के प्रोडक्शन में बन रही फिल्म ‘टीकू वेड्स शेरू’ में नजर आएंगे।