जमालुद्दीन बस कंडेक्टर कैसे बने Johnny Walker? बिना शराब पीए निभाया करते थे बेवड़े की दमदार एक्टिंग
रत्ना इस बारे में बात करते हुए आगे कहती हैं कि ‘क्या ये डरावना नहीं है कि मॉडर्न पढ़ी-लिखी महिलाएं अपने पति की जिंदगी के लिए करवाचौथ का व्रत रहती हैं ताकि जिंदगी को कुछ वैलिडटी मिल सके. भारत में विधवा होना भयानक स्थिति माना जाता है. 21वीं सदी में हम इस तरह की बात कर कर रहे हैं? पढ़ी-लिखी महिलाएं ऐसा कर रही हैं’. इसके साथ ही रत्ना पाठक ने ज्योतिषी-विद्या पर बात करते हुए आगे कहा कि ‘हम रूढ़िवादी होते जा रहे हैं. कुंडली दिखोओ, वास्तु कराओ, अपने ज्योतिषी को दिखाओ ये सब आधुनिक समाज की निशानी नहीं है. समाज रूढ़िवादी होने पर सबसे पहले औरतों पर शिकंजा कसता है’.
रत्ना पाठक आगे कहती हैं कि ‘लोग अब अंधविश्वासी होते जा रहे हैं. उन्हें धर्म को स्वीकार कर उसे अपनी जिंदगी का अहम हिस्सा बनाने के लिए मजबूर किया जा रहा है’. साथ ही रत्ना पाठक आगे कहती हैं कि ‘सऊदी अरब में औरतों के लिए क्या स्कोप है? क्या हम सऊदी अरब जैसा देश बनना चाहते हैं? और हम उनके जैसे बन भी जाएंगे क्योंकि ये बहुत ही सुविधाजनक है. औरतें घर में बहुत सारा काम करती हैं, जिसके लिए उन्हें कोई पैसा नहीं मिलता. अगर आपको उनके काम के लिए पैसे देने हों, तो कौन करेगा? औरतों को उस परिस्थिति में धकेला जाता है’.