एक इंटरव्यू में पहुंचे नसीरुद्दीन शाह से जब किसान आंदोलन पर सेलेब्स की चुप्पी का कारण पूछा गया तो वह भी भड़क गए और कहने लगे कि ‘अगर ठंड में किसान बैठें हैं तो यह बिल्कुल नहीं कह सकते हैं कि हमें कोई फर्क नहीं पड़ता है। वहीं अगर बात बहुत ज्यादा आगे बढ़ गई तो दुश्मनों के शोर से ज्यादा दोस्तों की चुप्पी बहुत चुभेगी। यदि हम चुप हैं, तो हम भी जुल्म की तरफदारी ही कर रहे हैं।’ नसीरुद्दीन कहते हैं कि ‘बॉलीवुड इंडस्ट्री में कई ऐसे लोग हैं जो शांत और उन्हें इस बात का डर है कि वह बोलेंगे तो कुछ खो देंगे। नसीरुद्दीन कहते हैं कि यह लोग इतना कमा चुके हैं कि यह आराम से अपनी 7 पीढ़ियों को बिठाकर खिला सकते हैं फिर क्या और कितना खोने का डर है?’
देश में किसानों की हालत को पर अभिनेता नसीरुद्दीन ने काफी चिंता जाहिर की है। उन्होंने बेहद ही निराश होकर कहा कि ‘देश में सेकुलरिज्म कमजोर पड़ता जा रहा है।’ वहीं इस इंटरव्यू के दौरान कोरोना काल में प्रवासी मजदूरों की हालत पर भी उन्होंने बात करते हुए कहा कि ‘जब भी वह पुलिस वालों को मजदूरों को पीटते हुए देखते थे। तो उनका दिल काफी दुखता था।’ नसीरुद्दीन कहते हैं कि ‘वहीं फिल्म इंडस्ट्री ने नया रूल निकाला है कि यदि आप 65 हैं तो आपको कोई काम नहीं देगा। ऐसे में उन्हें लगता है कि अगर कोई लाइट बॉय है तो उसका परिवार का ऐसे में क्या होगा।’ आपको बता दें इससे पहले अभिनेता लव-जिहाद पर भी अपनी राय रख चुके हैं। जिसमें उन्होंने कहा था कि यह बस एक मुद्दा पर जिसे राजनीति करने के लिए बनाया गया है।