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नसीरुद्दीन शाह का मिर्जा गालिब से क्या है रिश्ता, कराची लिटरेचर फेस्टिवल में किया था खुलासा

बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता नसीरुद्दीन शाह (Naseeruddin Shah) अक्सर अपने किस्सों को लेकर सोशल मीडिया पर छाए रहते हैं. उनके ऐसे कई अनगिनत किस्से हैं, जो वो किसी न किसा माध्यम से अपने फैंस के साथ साझा करते हैं. ऐसा ही एक किस्सा उन्होंने मशहूर शायर मिर्जा गालिब (Mirza Ghalib) को लेकर भी फैंस के साथ साझा किया था, जो आज हम आपको बताने जा रहे हैं.

Mar 10, 2022 / 05:49 pm

Vandana Saini

नसीरुद्दीन शाह का मिर्जा गालिब से क्या है रिश्ता, कराची लिटरेचर फेस्टिवल में किया था खुलासा

बॉलीवुड इंडस्ट्री को अपने समय पर यादगार फिल्में और किदरार देने वाले दिग्गज अभिनेता नसीरुद्दीन शाह (Naseeruddin Shah) अपने विवादित बयानों के साथ-साथ अपने पूराने किस्सों को लेकर भी अपने फैंस के बीच छाए रहते हैं. वो अक्सर ही कोई न कोई पूराना किस्सा बता ही देते हैं, जिसको सुनने के बाद हर कोई उनको मुर्शिद हो जाता है. एक बार कराची लिटरेचर फेस्टिवल के दौरान भी नसीरुद्दीन शाह मशहूर शायर मिर्जा गालिब (Mirza Ghalib) को लेकर भी फैंस के साथ साझा किया था.
नसीरुद्दीन शाह ने बताया कि ‘गुलजार साहब (Gulzar) मिर्जा गालिब के बहुत बड़े फैन थे. वो हमेशा से ही उन पर एक कोई फिल्म बनाना चाहते थे, जिसके लिए गुलजार सहाब मे संजीव कुमार को चुना था, क्योंकि परिचय, कोशिश, नमकीन, मौसम और आंधी जैसी फिल्मों में उनका अभिनय देखकर गुलजार इतने प्रभावित हो गए थे कि उन्होंने सोच लिया था कि मिर्जा के किरादर के लिए भी यही अच्छे रहेंगे’. शाह बताते हैं कि ‘गुलजार साहब संजीव कुमार को लेकर फिल्म बनाने की घोषणा भी कर डाली. ये खबर जब आम लोगों तक पहुंची तो उनको ये अच्छा नहीं लगा’.
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शाह ने बताया कि ‘क्योंकि उस समय के छात्रों को ये लगता था की संजीव कुमार ग़ालिब के किरदार के साथ इंसाफ नहीं कर पाएंगे इस रोल के साथ. अगर ग़ालिब के साथ इंसाफ कर सकता है तो वो खुद है. इस कॉलेज एक छात्र नसीरुद्दीन शाह थे’. नसीरुद्दीन शाह अपने स्कूल और कॉलेज के समय से ही थिएटर से काफी लगाव रखते थे और उसके साथ जुड़े हुए थे. खास बात तो थी कि वो खुद ग़ालिब के बहुत बड़े दीवाने थे और गालिब का किरदार अदा करना चाहते थे. शाह बताते हैं कि ‘इस खबर के उन तक पहुंचे के बाद उन्होंने गुलजार को चिठ्ठी लिख डाली’.
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शाह ने पत्र में लिखा ‘आप अपने फैसले पर दोबारा विचार कर लें, क्योंकि संजीव कुमार इस रोल के लिए फिट नहीं है. पहला कारण ये है संजीव कुमार अच्छी उर्दू नहीं बोल पाएंगे और दूसरा ये की उनका उर्दू शायरी से दूक-दूर तक कोई वास्ता नहीं है. ग़ालिब का किरदार अगर कोई निभा सकता है तो वो मैं हूं… लिहाजा आप फिल्म के लिए तब तक इंतजार करें जब तक मैं फिल्म लाइन ज्वाइन करने के लिए मुंबई ना आ जाऊं’. शाह आगे बताते हैं कि उनकी ये चिठ्ठी गुलजार साहब तक नही पहुंची, लेकिन चिठ्ठी में लिखी बात ऊपर वाले तक पहुंची और उसने नसीरुद्दीन शाह की बात सुन ली.
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किसी ना किसी वजह से फिल्म में देरी होती चली गई और फिर 6 नवंबर 1985 को संजीव कुमार भी इस दुनिया को छोड़ कर चले गए. इसके बाद उस दौर में ज्यादातर निर्माता और निर्देशक लोगो तक पहुंचने के लिए दूरदर्शन की तरफ मुड़ने लगे. गुलज़ार ने ग़ालिब को इस नए जरिए प्रस्तुत करने का फैसला लिया. ये वो वक्त था जब नसीरुद्दीन शाह एक अच्छे और दिग्गज अभिनेता बन चुके थे. अब जब ग़ालिब के किरदार की बात आई तो गुलजार की पहली पसंद थी नसीरुद्दीन शाह तो गुलज़ार उनसे मोल भाव करने लगे. नसीरुद्दीन शाह तब तक इस स्थिति में पहुंच चुके थे की वो अपनी शर्तों पर ही काम करने लगें.
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