मिथुन चक्रवर्ती के संघर्ष की कहानी ऐसी ही, जिससे आज के युवा काफी कुछ सीख सकते हैं और आगे बढ़ सकते हैं. अपने एक इंटरव्यू के दौरान उन्होंने बताया था कि ‘स्ट्रगल से परेशान होकर उनके मन में आत्महत्या करने की इच्छा आया करती थी’. हाल ही में मिथुन चक्रवर्ती ने अपने संघर्ष के दिनों को याद करते हुए बताया कि ‘जिंदगी में अपने सपनों को पूरा करने के दौरान संघर्ष से दिनों में उनके मन में गलत ख्याल आने लगे थे’. उन्होंने बताया कि ‘उनके मन में आत्महत्या कर अपनी जिंदगी खत्म करने तक का ख्याल आने लगा था. हालांकि, उन्होंने कभी ऐसी कोशिश नहीं की’.
मिथुन ने बात करते हुए आगे बताया कि ‘कई बार मुझे लगता था कि मैं अपनी मंजिल का पाने में सफल नहीं होऊंगा. मेरे पास अपने जन्मस्थान कोलकाता वापस जाने का भी ऑप्शन नहीं था’. मिथुन ने आगे बात करते हुए कहा कि ‘मैं आमतौर पर इस बारे में ज्यादा बात नहीं करता और कोई ऐसी घटना भी नहीं है जिसका मैं जिक्र करूं’. मिथुन ने कहा कि ‘हर कोई संघर्ष से गुजरता है, लेकिन मेरा इतना था कि कभी-कभी मुझे लगता था कि मैं अपने लक्ष्यों को प्राप्त नहीं कर पाऊंगा, मैंने आत्महत्या करने के बारे में भी सोचा. मेरी सलाह है कि बिना लड़े अपने जीवन को समाप्त करने के बारे में कभी न सोचें’.
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मिथुन ने बात करते हुए आगे बताया कि ‘कई बार मुझे लगता था कि मैं अपनी मंजिल का पाने में सफल नहीं होऊंगा. मेरे पास अपने जन्मस्थान कोलकाता वापस जाने का भी ऑप्शन नहीं था’. मिथुन ने आगे बात करते हुए कहा कि ‘मैं आमतौर पर इस बारे में ज्यादा बात नहीं करता और कोई ऐसी घटना भी नहीं है जिसका मैं जिक्र करूं’. मिथुन ने कहा कि ‘हर कोई संघर्ष से गुजरता है, लेकिन मेरा इतना था कि कभी-कभी मुझे लगता था कि मैं अपने लक्ष्यों को प्राप्त नहीं कर पाऊंगा, मैंने आत्महत्या करने के बारे में भी सोचा. मेरी सलाह है कि बिना लड़े अपने जीवन को समाप्त करने के बारे में कभी न सोचें’.
मिथुन चक्रवर्ती ने अपने एक्टिंग करियर की शुरुआत साल 1976 में रिलीज हुई फिल्म ‘मृगया’ से की थी. ये उनकी पहली फिल्म थी, जो हिट रही थी और इसके लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के खिताब से नवाजा गया था. मिथुन चक्रवर्ती का ये पहला राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार था. इसके बाद उन्होंने कई हिट फिल्मों में काम किया, जिनमें ‘डिस्को डांसर’, ‘सुरक्षा’, ‘साहस’, ‘वर्दत’, ‘वांटेड’, ‘बॉक्सर’, ‘प्यार झुकता नहीं’ और ‘अग्निपथ’ जैसी फिल्मों के नाम शामिल हैं. बता दें कि उन्होंने साल 1992 की फिल्म ‘तहदार कथा’ और साल 1998 की फिल्म ‘स्वामी विवेकानंद’ में अपने दमदार अभिनय के लिए दो और राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार भी जीते थे.
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