‘टुकड़े टुकड़े दिन बीता, धज्जी धज्जी रात मिली, जिसका जितना आंचल था, उतनी ही सौगात मिली।’ यह शब्द थे मीना कुमारी के दर्द भरे दिल के। जिसे उनके पति कमाल अमरोही शायद कभी नही समझ पाए।
कहा जाता है कि जब इस एक्ट्रेस का जन्म हुआ तो पिता नें लड़की पैदा होने के चलते अनाथालय में छोड़ दिया। लेकिन मां की मामता फिर उसे घर तक ले आई। इसके बाद घर की माली हालत ठीक ना होने के चलते बचपन से ही फिल्मों काम करना शुरू कर दिया।
फिल्म बैजू बावरा से मीना कुमारी को मिली पहचान
साल 1952 में आई फिल्म बैजू बावरा से मीना कुमारी को सही पहचान मिली और उनकी गिनती अब बॉलीवुड की सफल अभिनेत्रियों में की जाने लगी। यह फिल्म लोगों को इतनी पंसद आई थी कि 100 हफ्तों तक थियेटर में लगी रही। 1954 में उन्होंने पहले फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार प्राप्त किया। इस पुरस्कार को प्राप्त करने वाली वह पहली अभिनेत्री थीं।
बायां हाथ छुपाती थी अभिनेत्री
मीना कुमारी के बारे में कहा जाता था कि हर फिल्मों वो अपना बायां हाथ क्यों छुपाती थी। जिसका सबसे बड़ा कारण था कि मीना कुमारी के इस हाथ की छोटी उंगली कट गई थी इस वजह से शूट के दौरान वो अक्सर अपने इस हाथ की उंगली को बड़ी ही सफाई के छुपा लिया करती थीं।
कमाल अमरोही से शादी
साल 1951 में फिल्म तमाशा की शूटिंग के दौरान मीना कुमारी की मुलाकात मशहूर फिल्मकार कमाल अमरोही से हुई थी। और इसी मुलाताक में दोनों एक दूसरे को इतना पसंद करने लगे, कि दोनों की दोस्ती एक दिन प्यार में बदल गई। और एक साल के भीतर भीतर निकाह कर लिया। लेकिन कुछ समय के बाद दोनों के रिश्तों में दरार आनी शुरू हो गई। और यह दरार इतनी बढ़ी कि एक रोज खुद कमाल ने मीना को तीन तलाक दे दिया।
दिल के करीब रहा रंग सफेद
मीना कुमारी के बारे में कहा जाता था कि उनके सफेद रंग से इतना लगाव था कि वो जिस किसी पार्टी में जाती थी सफेद रंग के कपड़ों में ही नज़र आती थी।
धर्मेंद्र से भी मिला धोखा
मीना कुमारी को जब पति का प्यार नही मिला, इसके बाद वो धर्मेंद्र के करीब आने लगी। उस दौरान दोनों ही शादीशुदा थे लेकिन मीना, धर्मेंद्र को काफी प्यार करने लगी थी। लेकिन यहां पर भी उन्हें धोखा ही हासिल हुआ। क्योकि कहा जाता है कि धर्मेंद्र मीना कुमारी से प्यार नहीं करते थे बल्कि उन्होंने मीना का इस्तेमाल फिल्म इंडस्ट्री में अपने कदम जमाने के लिए किया था।
शराब बनी सहारा
जब मीना कुमारी को हर जगह से बेवफाई मिली तो इस बात को वह सह नही पाई। और अपनी निराश जिंदगी में उन्होनें शराब का सहारा लेना सही समझा। दर्द को झेलते झेलते वह शराब के आगोश में चली गईं और 31 मार्च 1972 को उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया।