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मीना कुमारी: एक्ट्रेस ही नहीं शानदार शायरा भी थीं ट्रेजडी क्वीन, पढ़िए उनके चुनिंदा शेर और गजलें

Meena Kumari Birthday: मीना कुमार अगर इतनी शानदार एक्ट्रेस ना होतीं तो शायद उनका नाम शायराओं की लिस्ट में काफी ऊपर होता।

Aug 01, 2023 / 02:40 pm

Rizwan Pundeer

मीना कुमारी नाज के नाम से एक्ट्रेस ने शायरी की है।

Meena Kumari Birthday: हिन्दी सिनेमा की सबसे बेहतरीन अभिनेत्रियों में शुमार मीना कुमारी की आज यानी 1 अगस्त को जयंती है। मीना कुमारी ने बचपन में ही फिल्मों में कदम रखा और फिर लीड एक्ट्रेस के तौर पर भी शानदार पहचान बनाई। उनकी फिल्मों की खूब बात होती है, जिसमें उनकी एक दूसरी पहचान छुप जाती है। वो है एक शायरा के तौर पर किया गया उनका काम। मीना कुमारी नाज के नाम से जो शायरी उन्होंने की है, वो 50 और 60 के दशक के नामचीन शायर-शायराओं के साथ उनको खड़ा करती है।

मीना कुमारी की कही नज्मों, गजलों को गुलजार ने संकलित किया है। जो ‘तन्हा चाँद’ नाम से पब्लिश हुआ है। मीना कुमारी की शायरी में कितनी जान है, इसका अंदाजा इससे भी लगा सकते हैं कि गुलजार जैसे गीतकार ने उनकी रचनाओं को संकलित किया। मीना कुमारी के कुछ शेर और गजलें हम आपके सामने पेश कर रहे हैं, आप खुद उनकी शायरी को पढ़िए।
चाँद तन्हा है आसमाँ तन्हा,
दिल मिला है कहाँ-कहाँ तन्हा

ज़िन्दगी क्या इसी को कहते हैं,
जिस्म तन्हा है और जाँ तन्हा

जलती-बुझती-सी रोशनी के परे,
सिमटा-सिमटा-सा एक मकाँ तन्हा

राह देखा करेगा सदियों तक
छोड़ जाएँगे ये जहाँ तन्हा।


उदासियों ने मिरी आत्मा को घेरा है
रूपहली चाँदनी है और घुप अंधेरा है

कहीं कहीं कोई तारा कहीं कहीं जुगनू
जो मेरी रात थी वो आप का सवेरा है

उफ़ुक़ के पार जो देखी है रौशनी तुम ने
वो रौशनी है ख़ुदा जाने या अंधेरा है

ख़ुदा के वास्ते ग़म को भी तुम न बहलाओ
इसे तो रहने दो मेरा यही तो मेरा है।



जब चाहा इकरार किया, जब चाहा इंकार किया
देखो हमने खुद ही से कैसा अनोखा प्यार किया
दर्द तो होता रहता है, दर्द के दिन ही प्यारे है
जैसे तेज छुरी को हमने रह-रहकर फिर धार किया

रोते दिल हँसते चेहरों को कोई भी न देख सका
आंसू पी लेने का वादा, हां सबने हर बार किया

शीशे टूटे या दिल टूटे खुश्क लबो पर मौत लिए
जो कोई भी कर न सका वह हमने आख़िरकार किया

“नाज़” तेरे जख्मी हाथो ने जो भी किया अच्छा ही किया
तुने सब की मांग सजी, हर इक का सिंगार किया।


अयादत होती जाती है,इबादत होती जाती है
मेरे मरने की देखो सबको आदत होती जाती है

तेरे क़दमों की आहट को है दिल यह ढूंढ़ता हरदम
हर इक आवाज़ पे इक थरथराहट होती जाती है।


मीना कुमारी के कुछ शेर-

पूछते हो तो सुनो कैसे बसर होती है
रात खैरात की सदके की सहर होती है।

आगाज तो होता है अंजाम नहीं होता
जब मेरी कहानी में वो नाम नहीं होता
हंसी थमी है इन आंखों में यूं नमी की तरह
चमक उठे हैं अंधेरे भी रौशनी की तरह।

बैठे रहे हैं रास्ता में दिल का खंडहर सजा कर
शायद इसी तरफ से एक दिन बहार गुज़रे

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