लक्ष्मीप्रिया देवी की पहली मणिपुरी फिल्म बूंग, महोत्सव के इस संस्करण में प्रीमियर होने वाली पहली भारतीय फिल्म बन गई। यह फिल्म एक युवा लड़के बूंग की कहानी है, जो अपने लापता पिता की तलाश में सभी मुश्किलों को पार करता है।
पिता जो जीवन के लिए बेहतर संभावनाओं के चलते बाहर गया था लेकिन बाद में उसने अपनी पत्नी और बेटे के साथ बातचीत करना बंद कर दिया था। कहानी का अधिकांश हिस्सा बर्मी सीमा पर मोरेह शहर के इर्द-गिर्द शूट हुआ है। एक नए निर्देशक के रूप में, लक्ष्मीप्रिया ने उत्तर-पूर्व में ‘बाहरी लोगों’ के बारे में तनाव को उजागर करने के लिए कुछ किस्सों को कुशलता से बुना है।
‘ऑल वी इमेजिन ऐज लाइट’ फिल्म का भी हुआ प्रीमियर
टोरंटो के 49वें इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में गुरुवार को पायल कपाड़िया की ‘ऑल वी इमेजिन ऐज लाइट’ का भी प्रीमियर हुआ। इसकी कहानी के केंद्र में सपनों के शहर मुंबई में दो नर्सें हैं। कानी कुसरुति और अनु (दिव्य प्रभा) न केवल अस्पताल में सहकर्मी हैं, बल्कि रूममेट भी हैं। एक अपने पति के साथ विदेश चली गई और दूसरी दूसरे धर्म के लड़के के साथ रिलेशनशिप में है। उनके जीवन के भावनात्मक उतार-चढ़ाव इस फिल्म की कहानी को रेखांकित करते हैं। भीड़भाड़ वाले रेलवे प्लेटफार्मों, ट्रेनों और बाजारों के साथ, कपाड़िया की फिल्म शहरी डेवलपर्स की हृदयहीनता को भी उजागर करती है क्योंकि दो नर्सों के एक लैब अस्टिटेंट सहयोगी को उसके घर से बेदखल कर दिया जाता है। वो तीनों अच्छे दोस्त बन जाते हैं। वो एक तटीय गांव में चले जाते हैं जहां उनकी कहानी का सुखद अंत होता है।