भावे हिंदुस्तानी शैली के साथ ही कर्नाटक संगीत में भी पारंगत थीं। उन्हें ‘उभय गान विदुषी’ से सम्मानित किया गया था। पिछले कुछ समय से वे बीमार थीं।
तीन दिन पहले ही उन्हें अस्पताल से डिस्चार्ज किया गया था। इसके बाद उनकी तबीयत लगातार बिगड़ती चली गई और शुक्रवार सुबह उन्होंने अंतिम सांस ली। उन्होंने छह साल की उम्र में एक संगीत प्रतियोगिता जीती थी और 12 साल की उम्र से वह संगीत प्रस्तुति देने लगीं थीं।