कुणाल कपूर ने अपने करियर की शुरुआत नसीरुद्दीन शाह के थिएटर से की थी। उन्होंने फिल्म अक्स के लिए बतौर सहायक निर्देशक के रूप में काम किया था। कुणाल की पहली फिल्म मीनाक्षी थी जिसमें उनके साथ लीड रोल में तब्बू भी थीं। लेकिन ये फिल्म मकोई खास सफलता नही पा सकी। उन्हें सही पहचान आमिर खान की फिल्म रंग दे बसंती से मिली।
2006 में रिलीज फिल्म रंग दे बसंती कुणाल की दूसरी फिल्म थी। फिल्म में उन्होंने असलम नाम के लड़के का रोल किया था जिसे काफी सराहना मिली। यहां तक कि इस फिल्म के लिए कुणाल को फिल्मफेयर के बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर के लिए नॉमिनेट भी किया गया था। फिल्म में मिल रही सफलता के बाद से उन्होनें तीन फिल्मों के कॉन्ट्रैक्ट साइन किए। जिसमें लागा चुनरी में दाग, आजा नच ले और बचना-ए-हसीनों शामिल थी।
फिल्म बचना-ए-हसीनों नें बॉक्स ऑफिस पर सफल रही। दो साल बाद कुणाल फिल्म लम्हा में नजर आए। फिल्म में उन्होंने संजय दत्त के साथ काम किया था। कुणाल कपूर को सेलेक्टिव रोल के लिए जाना जाता है। उन्हें जैसा भी किरदार मिले वो अपने अफिनय से उसमें जान डाल देते है।
अभिनेता कुणाल कपूर ने एक इंटरव्यू में अपनी पर्सनल लाइफ के बारें में खुलासा करते हुए कहा था कि शादी के बाद मै काफी बेहतर हुआ हूं। और मेरे में काफी बदलाव भी आया है शादी आपके लिए अच्छी भी साबित हो सकती है और बुरी भी।