पंजाबी सिंगर और गीतकार गुरु रंधावा सई मांजरेकर के साथ कुछ खट्टा हो जाए हिंदी फिल्म से अपने एक्टिंग करियर की शुरुआत करने के लिए रेडी हैं। गुरु रंधावा ने बताया कि वह भी हमेशा से एक एक्टर बनना चाहते थे। एक इंटरव्यू में गुरु रंधावा ने अपने अभिनय करियर को नए सिरे से शुरू करने के बारे में बात की और बताया कि उन्होंने 9 साल की उम्र में गाना शुरू किया था जब वह पॉकेट मनी कमाने के लिए शादियों में गाना गाय करते थे।
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गुरु कुछ पॉकेट मनी कमाने के लिए अपने गांव में शादियों में गाते थे। वह बताते हैं, ”मेरे माता-पिता हमेशा मुझे टीवी पर देखना चाहते थे। मैं अपने गांव की सभी शादियों में गाता था और लगभग 100-150 रुपये कमा लेता था। कोई मुझे 10 रुपये देता था, कोई मुझे 20 रुपये देता था, मतलब तब से कमाई कर रहा हूं मैं, मैं क्लास 3 या 4 क्लास ने था जब मैंने शुरुआत की थी। (मैं बहुत छोटी उम्र से कमा रहा हूं)। उस समय 20-30 रुपये बहुत बड़ी बात थी और मैंने अपने पिता से पॉकेट मनी मांगना बंद कर दिया।
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गुरु रंधावा ने ये खुलासा करते हुए कहा कि वो शाहरुख खान, सलमान खान और इरफान खान को कैसे अपना आदर्श मानते हैं। गुरु ने कहा, “हम सभी भारतीय, हमारे लिए, हमारी सभी कल्पनाऐ, प्रेम का विचार और हमारी प्रेम कहानियां, वे सभी हमारी फिल्मों से संबंधित हैं। बड़े होने के दौरान जब मैं इन बड़े अभिनेताओं को बड़े पर्दे पर देखता था तो मुझे समझ आता था कि कौन अभिनय कर रहा है और कौन स्वाभाविक है – अभिनय नहीं। मुझे वे लोग बहुत पसंद आए जो अभिनय नहीं कर रहे थे।”
गुरु रंधावा ने ये खुलासा करते हुए कहा कि वो शाहरुख खान, सलमान खान और इरफान खान को कैसे अपना आदर्श मानते हैं। गुरु ने कहा, “हम सभी भारतीय, हमारे लिए, हमारी सभी कल्पनाऐ, प्रेम का विचार और हमारी प्रेम कहानियां, वे सभी हमारी फिल्मों से संबंधित हैं। बड़े होने के दौरान जब मैं इन बड़े अभिनेताओं को बड़े पर्दे पर देखता था तो मुझे समझ आता था कि कौन अभिनय कर रहा है और कौन स्वाभाविक है – अभिनय नहीं। मुझे वे लोग बहुत पसंद आए जो अभिनय नहीं कर रहे थे।”
गुरु ने आगे बताया, “जैसे इरफान खान सर, नवाजुद्दीन सिद्दीकी सर, जैसे अनुपम खेर सर, अक्षय कुमार स्पेशल 26 में हैं, जैसे जब तक है जान में शाहरुख (खान) सर, सुल्तान में सलमान (खान) सर और बजरंगी भाईजान, दंगल में आमिर (खान) सर… तो मुझे लगता है कि जब आप अभिनय नहीं कर रहे होते हैं, तभी आप अभिनय कर रहे होते हैं। उनसे प्रेरित होकर मैंने भी ‘कुछ खट्टा हो जाए’ में ऐसा ही कुछ किया है।