किशोर बताते हैं कि ‘बहुत से लोग इस पर विश्वास नहीं करेंगे, लेकिन देव साहब के समान दिखने की वजह से मैंने अभिनय के कई बड़े मौके खोए हैं, लेकिन मैंने कोशिश करना कभी नहीं छोड़ा। मुझे हमेशा इस बात का विश्वास था कि सब ठीक हो जाएगा इसलिए। मैं कभी नहीं रुका और धीरे-धीरे चीजें मेरे पक्ष में हो गईं’। किशोर ने देव आनंद के साथ अपनी मुलाकात के बारे में बताया।
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देव साहब के बारे में बात करते हुए उन्होंने बताया कि ‘मैं बहुत छोटा था जब मैं पहली बार देव आनंद सर से मिला और उन्हें एक्टिंग में अपनी रुचि के बारे में बताया, लेकिन उन्होंने मुझे पहले पढ़ाई पूरी करने की सलाह दी। आज मैं ‘किशोर की आवाज देव का अंदाज’ नामक तीन घंटे का स्टैंड-अप कॉमेडी शो करता हूं, जिसमें कॉमेडी करने के साथ-साथ मैं गाना भी गाता हूं। मैं अब तीन दशकों से ज्यादा समय से शो बिजनेस में हूं और धन्यवाद देव जी के लिए मैं अपने लिए एक नाम बनाने में कामयाब रहा’।
एक्टर आगे बताते हैं कि ”भाबीजी घर पर हैं’ शो के साथ मेरा सफर आसिफ शेख की वजह से शुरू हुआ। इन्हें मैं कई सालों से जानता हूं ये मेरे एक बेहद अच्छे दोस्त हैं। उन्होंने मुझे शो में कई किरदारों के लिए निर्देशक शशांक बाली से मिलवाया’। एक्टर ने आगे बताया कि ‘शशांक जी ने मुझे तुरंत एक दिन के लिए अनीता भाबी (सौम्या टंडन) के चाचा की भूमिका निभाने के लिए कास्ट किया और फिर मुझे कमिश्नर रेशम पाल की भूमिका निभाने के लिए फोन आया’।
किशोर ने बताया कि ‘उसके बाद मुझे साल 2019 में ‘हप्पू की उलटन पलटन’ में भी कास्ट किया गया। अब मैं एक समान किरदार निभाते हुए दो शो कर रहा हूं और मैं बहुत आभारी हूं’। उन्होंने खुलासा किया कि ‘मैंने कभी भी अभिनय में अपना करियर बनाने का इरादा नहीं किया था। मेरा मानना है कि मैं अपना छोटा पारिवारिक बिजनेस चलाने के लिए पैदा हुआ था, लेकिन जब मैं छोटा था, तो मुझे याद है कि एक लड़का मुझसे कह रहा था कि मैं देव आनंद की तरह दिखता हूं। मुझे नहीं पता था कि वह कौन थे, क्योंकि उस समय, हम केवल राजेश खन्ना जी को एक सुपरस्टार के रूप में जानते थे’।
एक्टर ने आगे बताया कि ‘फिर, उत्सुकता से मैंने उनकी एक फिल्म ‘ये गुलिस्तान हमारा’ देखी, मैंने पहली बार देव आनंद को देखा। मुझे याद है कि मैंने अपने स्कूल की छुट्टियों के दौरान वे फिल्म देखी थी और फिर मैं ‘ज्वेल थीफ’ देखने गया और मुझे धीरे-धीरे एहसास हुआ कि हां, मैं उनसे मिलता-जुलता हूं। फिर मैंने आईने के सामने खड़े होकर उनकी नकल करना शुरू कर दिया और अब 50 साल हो गए हैं कि मेरा नाम उनके नाम से जोड़ा गया है और लोग मुझे देव आनंद के कार्बन कॉपी के रूप में जानते हैं’।