‘हिम्मतवाला’ (1983) में अमजद खान के हंसोड़ मुंशी का किरदार निभाने वाले कादर को इस फिल्म के लिए सर्वश्रेष्ठ कॉमेडियन का फिल्मफेयर मिला था। फिल्म में वो कहते हैं, ‘मालिक मुझे नहीं पता था कि बंदूक लगाए आप मेरे पीछे खड़े हैं। मुझे लगा कि कोई जानवर अपने सींग से मेरे पीछे खटबल्लू बना रहा है।’
मूवी ‘बाप नंबरी बेटा दस नंबरी’ (1990) में चालाक ठग का किरदार निभाने वाले कादर का एक मशहूर सीन, ‘तुम्हें बख्शीश कहां से दूं, मेरी गरीबी का तो ये हाल है कि किसी फकीर की अर्थी को कंधा दूं तो वो उसे अपनी इंसल्ट मान कर अर्थी से कूद जाता है।’
1983 में रिलीज हुई फिल्म ‘कुली’ में अमिताभ के किरदार में जान डालने वाले डायलॉग्स कादर खान ने ही लिखे थे। ये संवाद था ‘बचपन से सर पर अल्लाह का हाथ और अल्लाहरख्खा है अपने साथ, बाजू पर ‘786’ का है बिल्ला, 20 नंबर की बीड़ी पीता हूं और नाम है ‘इकबाल’।’
फिल्म ‘मुकद्दर का सिकंदर’ जो साल 1978 में आई थी। इसमें कादर ने फकीर बाबा का किरदार प्ले किया था। वहीं कादर, अमिताभ को जिंदगी की हकीकत समझाते हुए कहते हैं, ‘सुख तो बेवफा है आता है जाता है, दुख ही अपना साथी है, अपने साथ रहता है। दुख को अपना ले तब तकदीर तेरे कदमों में होगी और तू मुकद्दर का बादशाह होगा।’
फिल्म ‘अंगार’ (1992) के डायलॉग के लिए कादर खान को सर्वश्रेष्ठ संवाद का फिल्मफेयर मिला था। इसका एक संवाद है, ‘ऐसे तोहफे (बंदूकें) देने वाला दोस्त नहीं होता है, तेरे बाप ने 40 साल मुंबई पर हुकूमत की है इन खिलौनों के बल पर नहीं, अपने दम पर।’
अमिताभ की सुपरहिट फिल्म ‘अग्निपथ’ जो कि साल (1990) आई थी। इस मूवी के लिए अमिताभ के किरदार को राष्ट्रीय पुरस्कार मिला इसमें बड़ा हाथ जानदार संवादों का भी था, जो कादर खान ने ही लिखे थे, ‘विजय दीनानाथ चौहान, पूरा नाम, बाप का नाम दीनानाथ चौहान, मां का नाम सुहासिनी चौहान, गांव मांडवा, उम्र 36 साल 9 महीना 8 दिन और ये सोलहवां घंटा चालू है।’