जूही चावला का परिवार
उनके पिता एस.चावला एक डॉक्टर थे। जूही चावला ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा लुधियाना से पूरी की। इसके बाद उन्होंने आगे की पढ़ाई मुंबई के सिद्धानम कॉलेज से पूरी की। वर्ष 1984 में वह मिस इंडिया चुनी गई। इसके बाद उन्हें मिस यूनिवर्स प्रतियोगिता में हिस्सा लेने का मौका मिला। इस प्रतियोगिता में उन्हें सर्वश्रेष्ठ वेश-भूषा के पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इस बीच उन्हें कई विज्ञापन फिल्मों में मॉडलिंग का काम करने का अवसर मिला। यह भी पढ़ें
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जूही चावला की पहली फिल्म
जूही चावला ने अपने सिने करियर की शुरुआत वर्ष 1986 में प्रदर्शित फिल्म ‘सल्तनत’ से की। मुकुल आनंद के निर्देशन में बनी इस फिल्म में धर्मेन्द्र और सनी देओल ने मुख्य भूमिका निभाई थी। फिल्म में जूही चावला के नायक की भूमिका शशि कपूर के पुत्र करण कपूर ने निभाई थी। फिल्म टिकट खिड़की पर असफल साबित हुई और जूही चावला दर्शकों के बीच अपनी पहचान बनाने में असफल रही। यह भी पढ़ें
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कन्नड़ फिल्म ‘प्रेमालोक’
फिल्म ‘सल्तनत’ की असफलता के बाद जूही चावला को हिंदी फिल्मों में काम मिलना बंद हो गया। इस बीच उन्होंने रोशन तनेजा के अभिनय प्रशिक्षण स्कूल में तीन महीने का प्रशिक्षण प्राप्त किया और दक्षिण फिल्मों की ओर अपना रुख किया। वर्ष 1987 में प्रदर्शित कन्नड़ फिल्म ‘प्रेमालोक’ उनके करियर की पहली हिट फिल्म साबित हुई। यह भी पढ़ें
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जूही चावला की पहली हिट फिल्म
लगभग 4 वर्ष तक मायानगरी मुंबई में संघर्ष करने के बाद 1988 में नासिर हुसैन के बैनर तले बनी फिल्म ‘कयामत से कयामत तक’ बनाई। आमिर खान के साथ की गई इस मूवी की सफलता के बाद बतौर फिल्म अभिनेत्री इंडस्ट्री में जूही अपनी पहचान बनाने में सफल हो गई। वर्ष 1990 उनके सिने करियर के लिए अहम वर्ष साबित हुआ। इस वर्ष उनकी ‘स्वर्ग’ और ‘प्रतिबंध’ जैसी सुपरहिट फिल्में प्रदर्शित हुईं। यह भी पढ़ें
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जूही चावला की फिल्में
राजनीति से प्रेरित फिल्म ‘प्रतिबंध’ में जूही चावला अपने दमदार अभिनय के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के फिल्म फेयर पुरस्कार से नामांकित भी की गईं। वर्ष 1992 में उनके अभिनय के विविध रूप देखने को मिले। इस वर्ष उनकी ‘राधा का संगम’, ‘मेरे सजना साथ निभाना’, ‘बेवफा से वफा’ और ‘बोल राधा बोल’ जैसी फिल्में प्रदर्शित हुईं जो महिला प्रधान थीं। यह भी पढ़ें