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नौकरी मिलने के बाद जॉनी वॉकर काफी खुश थे क्योंकि वो इस काम के जरिए मुंबई के स्टूडियो भी घूम लेते थे। एक दिन उनकी मुलाकात डायरेक्टर के. आसिफ के सचिव रफीक से हुई। उनके कई बार गुजारिश के बाद फिल्म ‘आखिरी पैमाने’ में एक छोटा सा रोल मिला। उस रोल के लिए जॉनी वॉकर को 80 रुपये मिले।
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इसके बाद एक बार बस का सफर करने के दौरान एक्टर बलराज साहनी की नजर जॉनी वॉकर पर पड़ी। जब वो लोगों को हंसाकर उनका मनोरंजन भी कर रहे थे तब उन्होंने जॉनी को गुरु दत्त से मिलने की सलाह दी। बस फिर क्या था उन्होंने गुरु दत्त के सामने शराबी की एक्टिंग की जिसे देखकर गुरु दत्त को वाकई लगा कि उन्होंने शराब पी रखी है। पहले तो गुरु दत्त बहुत नाराज हुए कि उन्होंने शराब पी रखी है लेकिन बाद में जब उन्हें पता चला तो जॉनी को गले लगा लिया। कहा जाता है गुरु दत्त ने उन्हें एक लोकप्रिय व्हिस्की ब्रांड के नाम पर यह नाम दिया था। जबकि फिल्मों में अक्सर शराबी का रोल करने वाले जॉनी वॉकर असल जिंदगी में बिल्कुल भी शराब नहीं पीते थे।
जॉनी वॉकर ने फिर अपने काम के दम से कई बड़े डायरेक्टर्स के साथ काम किया। उनकी मुख्य फिल्मों में ‘जाल’, ‘हमसफर’, ‘मुगल ए आजम’, ‘मेरे महबूब’, ‘बहू बेगम’, ‘मेरे हुजूर’, ‘टैक्सी ड्राइवर’, ‘देवदास’, ‘मधुमति’ और ‘नया अंदाज’ है। उस वक्त ऐसा था कि प्रोड्यूसर और डिस्ट्रीब्यूटर की डिमांड पर फिल्म में एक गाना जॉनी वॉकर पर जरूर शूट होता था।