एक इवेंट में इंटरव्यू के दौरान जावेद अख्तर ने अलग-अलग विषयों, पर्सनल लाइफ पर कमेंट किया है। इवेंट में जब उनसे सवाल किया गया कि क्या आपको ऑटोग्राफ लेने का बहुत शौक है। आपको पंडित नेहरू के हस्ताक्षर कैसे मिले? इस पर जावेद ने कहा, “मैं तब स्कूल में था, मैं अलीगढ़ के एक स्कूल में पढ़ता था और वह लाइब्रेरी के उद्घाटन के लिए आने वाले थे। फिर आसपास के स्कूल-कॉलेजों के लड़के-लड़कियों को बुलाया गया, जिनमें मैं भी शामिल था। हमारा ग्रुप वहां गाना गाने जा रहा था।”
जावेद अख्तर ने आगे कहा, “मैं स्पष्ट रूप से मंच के पास था क्योंकि हम गाने जा रहे थे। कार्यक्रम के बाद वो अपनी कार की तरफ बड़ने लगे। मैं उनके पीछे उनके हस्ताक्षर लेने के लिए दौड़ा। जैसे ही उनकी कार निकलने वाली थी, मैं कार की ओर लपका और खिड़की से अपना पेपर उन्हें थमा दिया। उन्होंने तुरंत अपनी जेब से एक पेन निकाला और उस पर हस्ताक्षर कर दिए। मैं तब केवल 13 साल का था।”
बता दें, जावेद अख्तर मूल रूप से ग्वालियर के रहने वाले हैं और उनके पिता भी उर्दू के शायर थे। वह अपने करियर को आगे बढ़ाने के लिए मुंबई पहुंचे। शुरुआत में उन्हें मुंबई में संघर्षों का सामना करना पड़ा था। बतौर स्क्रिनप्ले राइटर उनकी पहली फिल्म ‘हाथी मेरे साथी’ थी, उसके बाद ‘यादों की बारात’, ‘डॉन’, ‘दीवार’, ‘शोले’ जैसी कई सुपरहिट फिल्में आईं।