मगर जो खो गई वो चीज क्या थी। 2. छोड़ कर जिस को गए थे आप कोई और था
अब मैं कोई और हूँ वापस तो आ कर देखिए।
वो मुझ से जीत भी सकता था जाने क्यूं हारा। 4. ज़रा सी बात जो फैली तो दास्तान बनी
वो बात ख़त्म हुई दास्तान बाक़ी है।
दिल मगर ये कहता है कुछ और बेहतर देखिए। 6. बंध गई थी दिल में कुछ उम्मीद सी
ख़ैर तुम ने जो किया अच्छा किया। 7. ये खामोशी जो गुफ्तगू के बीच ठहरी है
ये ही सारी बात सारी गुफ्तगू में सब से गहरी है।
कुछ लोग मेरे हिस्से का सूरज भी खा गए। 9. इस शहर में जीने के अंदाज निराले हैं
होठों पे लतीफें हैं आवाज में चालें हैं।
कुछ न होगा तो तजुर्बा होगा।