पहली ही मुलाकात में हेमा मालिनी को दिल दे बैठे थे संजीव कुमार
फिल्म सीता-गीता ही वो फिल्म है जिसके सेट पर पहली बार संजीव कुमार और हेमा मालिनी की मुलाकात हुई थी। इस फिल्म के सेट पर ही संजीव कुमार हेमा मालिनी को देखते ही अपना दिल दे बैठे थे। संजीव कुमार हेमा को इतना चाहने लगे थे कि वो उनसे शादी तक करना चाहते थे।
शादी का रिश्ता लेकर संजीव कुमार हेमा मालिनी के माता-पिता के पास भी गए थे। बताया जाता है कि जब हेमा के माता-पिता को पता चला कि वो उनकी बेटी से शादी करना चाहते हैं। तो उन्होंने रिश्ते से साफ मना कर दिया।
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हेमा मालिनी के माता-पिता ने ठुकाराय शादी का प्रस्ताव
खबरों की मानें तो बताया जाता है कि जब संजीव कुमार हेमा मालिनी के घर शादी का प्रस्ताव लेकर गए थे। तब उनकी मां ने संजीव कुमार से कहा था कि वो अपनी बेटी की शादी अपनी ही बिरादरी के लड़के से कराएंगी। उन्होंने बताया कि उन्होंने हेमा के लिए लड़का ढूंढ भी रखा है। कहा तो ये भी जाता है कि हेमा मालिनी भी संजीव कुमार को चाहने लगी थीं।
अभिनय की दुनिया के विधाता थे संजीव कुमार
शादी ना करने का संजीव कुमार ने लिया फैसला
संजीव कुमार के बाद हेमा मालिनी का नाम दिग्गज अभिनेता धर्मेंद्र संग जुड़ने लगा और यही वजह थी कि हेमा मालिनी ने भी संजीव कुमार के शादी के प्रपोजल को मना कर दिया। हेमा मालिनी के शादी ना करने के बात से संजीव कुमार इस कदर टूटे की उन्होंने पूरी जिंदगी कुंवारे ही रहकर बीता ली। बताया जाता है कि संजीव कुमार ने फैसल कर लिया था कि वो कभी भी शादी नहीं करेंगे।
सुलक्षण पंडित करना चाहती थीं संजीव कुमार से शादी
जिस दीवानगी के साथ में संजीव कुमार हेमा मालिनी को चाहते थे। ठीक वैसे ही उन्हें सुलक्षण पंडित भी चाहती थीं। सुलक्षण पंडित संजीव कुमार संग शादी कर अपना घर बसना चाहती थी, लेकिन हेमा मालिनी से धोखा खाए संजीव कुमार फैसला कर चुके थे कि वो तमाम जिंदगी अकेले ही बिताएंगे। जिसका नतीजा यह रहा कि सुलक्षण पंडित ने भी संजीव कुमार की तरह पूरी जिंदगी शादी नहीं की।
बेस्ट एक्टर के लिए मिला नेशनल अवॉर्ड
आपको बता दें साल 1970 में अभिनेता की फिल्म ‘खिलौना’ आई थी। जो कि सुपरहिट हुई और संजीव कुमार रातोंरात सुपरस्टार बन गए। संजीव कुमार को उनके अभिनय के लिए बेस्ट एक्टर का नेशनल अवॉर्ड भी दिया गया। 6 नंवबर 1985 में संजीव कुमार की हार्ट अटैक से मृत्यु हो गई। बताया जाता है कि बचपन से ही उनके दिल में छेद था। बेशक आज संजीव कुमार इस दुनिया में नहीं है, लेकिन उनका काम आज भी लोगों के दिलों में जिंदा है।