चालीस के दशक में शुरू किया सिने कॅरियर:
स्नातक की शिक्षा पूरी करने के कुछ दिनों बाद तक उन्होंने गणित और विज्ञान के अध्यापक के रूप में भी काम किया। चालीस के दशक में ऋषिकेश मुखर्जी ने अपने सिने कॅरियर की शुरुआत न्यू थियेटर में बतौर कैमरामैन की। न्यू थियेटर में उनकी मुलाकात जाने माने फिल्म संपादक सुबोध मित्र से हुई। उनके साथ रहकर ऋषिकेश मुखर्जी ने फिल्म संपादन का काम सीखा।
स्नातक की शिक्षा पूरी करने के कुछ दिनों बाद तक उन्होंने गणित और विज्ञान के अध्यापक के रूप में भी काम किया। चालीस के दशक में ऋषिकेश मुखर्जी ने अपने सिने कॅरियर की शुरुआत न्यू थियेटर में बतौर कैमरामैन की। न्यू थियेटर में उनकी मुलाकात जाने माने फिल्म संपादक सुबोध मित्र से हुई। उनके साथ रहकर ऋषिकेश मुखर्जी ने फिल्म संपादन का काम सीखा।
यह भी पढ़ें
जब सनी लियोन ने पहली बार देखी थी एडल्ट फिल्म, जानिए ऐसे ही चौंकाने वाले खुलासे
यह भी पढ़ें
इस साल संजय के घर कुछ इस तरह मनेगा रक्षाबंधन का त्यौहार, बहने कर रही खास तैयारी…
यह भी पढ़ें
42 की उम्र में एक्ट्रेस ने छोड़ी शर्म, पार कर दी बोल्डनेस की सारी हदें, लोगों ने कहा आंटी बुढ़ापे म
विमल राय के साथ सहायक के तौर पर काम किया:
इसके बाद वह फिल्मकार विमल राय के साथ सहायक के तौर पर काम करने लगे। उन्होंने विमल राय की फिल्म ‘दो बीघा जमीन’ और ‘देवदास’ का संपादन भी किया। बतौर निर्देशक ऋषिकेश मुखर्जी ने अपने कॅरियर की शुरुआत वर्ष 1957 में प्रदर्शित फिल्म’मुसाफिर’से की। दिलीप कुमार, सुचित्रा सेन और किशोर कुमार जैसे नामचीन सितारों के रहने के बावजूद फिल्म टिकट खिड़की पर असफल साबित हुई।
‘अनाड़ी’ से मिली पहचान:
वर्ष 1959 में ऋषिकेश मुखर्जी को फिल्म’अनाड़ी’ में राजकपूर को निर्देशित करने का मौका मिला। फिल्म टिकट खिड़की पर सुपरहिट साबित हुई। इसके साथ ही बतौर निर्देशक ऋषिकेश मुखर्जी फिल्म इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनाने में कामयाब हो गए।
वर्ष 1959 में ऋषिकेश मुखर्जी को फिल्म’अनाड़ी’ में राजकपूर को निर्देशित करने का मौका मिला। फिल्म टिकट खिड़की पर सुपरहिट साबित हुई। इसके साथ ही बतौर निर्देशक ऋषिकेश मुखर्जी फिल्म इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनाने में कामयाब हो गए।