फरहान अख्तर ने हाल में अपने एक इंटरव्यू में इस मामले के बारे में बात करते हुए बताया कि ‘अब लोग ओटीटी प्लेटफॉर्म पर विदेशी कॉन्टेंट देख रहे हैं’। साथ ही उनका कहना है कि ‘हर किसी को अपनी भाषा से लगाव होता है, जो उनके साथ भावनात्मक जुड़ाव रखता है। हर कोई अपनी भाषा में भावनाओं के बेहतर तरीके से समझते हैं। कई बार केवल एक शब्द से ही बहुत सारी बातें और भावनाएं जाहिर की जा सकती हैं। इसलिए अपनी भाषा के कॉन्टेंट की अलग ही बात होती है, लेकिन जब आप बाहर के लोगों से बात करते हैं तो वे भावनाएं थोड़ी सी अलग हो सकती हैं’।
फरहान इस बारे में बात करते हुए आगे कहते हैं कि ‘ऐसे में जब हम फिल्म ‘एलेक्जेंडर द ग्रेट’ को इंग्लिश में देखते हैं तो हमें कोई फर्क नहीं पड़ता, जबकि ये अलग बात है कि रोमन लोगों ने कभी इंग्लिश नहीं बोली थी। ये बिल्कुल सामान्य बात है कि आप इंग्लिश का कॉन्टेंट देखें, लेकिन मुझे लगता है कि हमें अब इस बैरियर को तोड़ना चाहिए है। आपको ऐसा करने के लिए कुछ बेहतर तरीका सोचना ही होगा ताकि किसी भी भाषा में वही भावनाएं जाहिर की जा सकें, तो निजी तौर पर मुझे ये बहुत बड़ा मुद्दा नहीं लगता है। मुझे लगता है कि ये अच्छी बात है कि दुनिया अब दूसरी भाषाओं के कॉन्टेंट को देख रही है और ये सभी के लिए फायदेमंद है’।
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फरहान इस बारे में बात करते हुए आगे कहते हैं कि ‘ऐसे में जब हम फिल्म ‘एलेक्जेंडर द ग्रेट’ को इंग्लिश में देखते हैं तो हमें कोई फर्क नहीं पड़ता, जबकि ये अलग बात है कि रोमन लोगों ने कभी इंग्लिश नहीं बोली थी। ये बिल्कुल सामान्य बात है कि आप इंग्लिश का कॉन्टेंट देखें, लेकिन मुझे लगता है कि हमें अब इस बैरियर को तोड़ना चाहिए है। आपको ऐसा करने के लिए कुछ बेहतर तरीका सोचना ही होगा ताकि किसी भी भाषा में वही भावनाएं जाहिर की जा सकें, तो निजी तौर पर मुझे ये बहुत बड़ा मुद्दा नहीं लगता है। मुझे लगता है कि ये अच्छी बात है कि दुनिया अब दूसरी भाषाओं के कॉन्टेंट को देख रही है और ये सभी के लिए फायदेमंद है’।
इतना ही नहीं ऑडियंस के बारे में बात करते हुए फरहान अख्तर कहते हैं कि ‘उन्हें ग्लोबल ऑडियंस को ध्यान में रखकर कॉन्टेंट बनाना होगा। हमें ज्यादा लोगों तक पहुंचने के लिए वही तरीका अपनाना होगा जैसा ‘द अवेंजर्स’ ने किया। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि कोई किस भाषा में बात कर रहा है। इससे फर्रक नहीं पड़ता कि देखने वाला इंग्लिश जानता है या नहीं। इन फिल्मों में कुछ ऐसा था कि आप देखते ही हैं। कॉन्टेंट क्रिएटर्स के तौर पर हमारे लिए ऐसा बेहतरीन कॉन्टेंट बनाना जरूरी है। भाषा की समस्या इसके बहुत बाद में आती है’।
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