मजूमदार का जन्म ब्रिटिश भारत में हुआ था। उनके पिता बीरेंद्रनाथ मजूमदार एक स्वतंत्रता सेनानी थे। हालांकि केमिस्ट्री के छात्र, युवा मजूमदार को फिल्में बनाने का शौक था। उन्होंने सचिन मुखर्जी और दिलीप मुखर्जी के साथ मिलकर ‘जात्रिक’ नाम की एक टीम बनाई और फिल्मों का निर्देशन शुरू किया। तिनमूर्ति की पहली फिल्म ‘चावा पावा’ है। नायक और नायिका उत्तम कुमार और सुचित्रा सेन थे। ‘जात्रिक’ के निर्देशन में ‘ग्लास पैराडाइज’ का निर्माण हुआ। फिल्म को राष्ट्रीय पुरस्कार मिला था।
मजूमदार 1975 में ‘जात्रिक’ से निकले। उस साल उन्होंने दो फिल्में बनाईं, ‘अलोर पिपासा’ और ‘एकतुकु वलबासा’। इसके बाद से डायरेक्टर ने एक के बाद एक फिल्में दी हैं। उस लिस्ट में ‘बालिका बधू’, ‘कुहेली’, ‘श्रीमन पृथ्वीराज’, ‘फुलेश्वरी’, ‘दादर कीर्ति’, ‘अपान अमर अपान’, ‘गणदेवता’, ‘आलो’ जैसी फिल्में शामिल हैं। निर्देशक के पास पांच राष्ट्रीय पुरस्कार हैं। उन्हें पद्मश्री से नवाजा जा चुका है। तरुण मजूमदार को 1962 की बंगाली फिल्म कांचर स्वर्ग के लिए पहला राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
तरुण (Tarun Majumdar) की फिल्मों की बात करें तो उन्होंने बालिका बधू (1967), कुहेली (1971), श्रीमन पृथ्वीराज (1973), फुलेश्वरी (1974), दादर कीर्ति (1980), भालोबासा (1985) और अपान अमर अपान (1990) जैसी बेहतरीन फिल्में दी हैं।