फिल्मों में आने से पहले धर्मेंद्र रेलवे में क्लर्क की नौकरी करते थे एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया था कि फिल्मों में आने से पहले वे रेलवे में क्लर्क की नौकरी करते थे। उस समय उन्हें इस काम के बदले 125रुपये महीना उनकी सैलरी थी। धर्मेंद्र साल 1958 में मुंबई आए थे।उन्होंने मुंबई फिल्मफेयर टैलेंट हंट में भाग लिया और जीता भी। लेकिन इन सब के बाद भी उन्हें अपनी पहचान बनाने के लिए बहुत पापड़ बेलने पड़े थे। धर्मेंद्र के पिता लुधियाना के एक गांव के स्कूल में हेड मास्टर थे। और वे चाहते थे उनका बेटा रेलवे में काम करता रहे। लेकिन धर्मेंद्र अपना मन बना चुके थे और वे मुंबई आ गए।
फिल्म ‘दिल भी तेरा हम भी तेरे’ से की थी करियर की शुरुआत साल 1960 में आई फिल्म ‘दिल भी तेरा हम भी तेरे’ से धर्मेन्द्र ने अपने करियर की शुरुआत की थी। इस फिल्म में उन्हें हिंगोरानी ने मौका दिया था। जिसके चलते धर्मेन्द्र आज भी हिंगोरानी का एहसान मानते हैं। इस फिल्म में उनको सिर्फ 51 रुपए मिले थे। इस फिल्म के आने के बाद उनके काम तो मिलने लगा था लेकिन पैसे नहीं मिलते थे। सपनो की नगरी में रहने के लिए धर्मेन्द्र को बहुत स्ट्रगल करना पड़ा।
कई रातें सिर्फ चने खाकर कर गुजारी एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया था कि वे कई रातें सिर्फ चने खाकर और स्टेशन के बेंच पर सो कर गुजारी थी। इतना ही फिल्म निर्माताओं से मिलने के लिए वो मीलों पैदल चलकर जाते थे। जिससे की कुछ पैसे बचा सके और कुछ खाने को ले सकें। धर्मेन्द्र बताते हैं कि एक वक्त ऐसा भी था, जब मैं भरपेट खाना भी नहीं खा पाते थे। एक बार तो शशि कपूर ने मुझे अपने घर ले जाकर खाना खिलाया था। इसके बाद भी उन्होंने कई सालों तक स्ट्रगल किया और फिर बॉलीवुड के सुपरस्टार बने।
खेतों से है प्यार धर्मेंद्र फिलहाल फिल्मों से दूर लोनावाला स्थित अपने फार्म हाउस में ही रहते हैं । उनके फार्म हाउस पर कई गाय और भैसें भी हैं।उनके फार्महाउस के आसपास पहाड़ और झरने हैं। साथ ही उनकी अपनी 1000 फीट गहरी झील भी है। एक इंटरव्यू के दौरान धर्मेंद्र ने कहा था, “मैं जाट हूं और जाट जमीन और अपने खेतों से प्यार करता है। हमारा फोकस ऑर्गेनिक खेती पर है, हम चावल उगाते हैं।”