कुछ फिल्मों के बारे में साहिर लुधियानवी का शेर ‘न तू जमीं के लिए है न आसमां के लिए/ तेरा वजूद है अब सिर्फ दास्तां के लिए’ मुकम्मल बयान लगता है। ये फिल्में क्यों और किसके लिए बनाई गईं, पहेली से कम नहीं है। इस तरह की फिल्में दुनियाभर में बन चुकी हैं। ऐसी ही एक भूली-बिसरी फिल्म ‘द ईवल विदिन’ (पासपोर्ट टू डेंजर) ने हाल ही 50 साल पूरे किए हैं। भारत और फिलीपीन्स की साझेदारी वाली यह पहली फिल्म हॉलीवुड ने बनाई थी। जब हॉलीवुड की ‘लव स्टोरी’, ‘एयरपोर्ट’, ‘मैश’ और ‘टोरा टोरा टोरा’ तथा बॉलीवुड की ‘जॉनी मेरा नाम’, ‘सच्चा झूठा’, ‘पूरब और पश्चिम’, ‘आन मिलो सजना’ आदि सिनेमाघरों में धूम मचा रही थीं, ‘द ईवल विदिन’ कब आई, कब उतर गई, पता ही नहीं चला। यह जीनत अमान ( Zeenat Aman ) की पहली फिल्म थी। पहली ही फिल्म से उन्हें सबक मिल गया कि अगर फिल्म में दम नहीं है, तो हॉलीवुड भी दूर के ढोल सुहाने से ज्यादा कुछ नहीं है। ‘द ईवल विदिन’ के एक साल बाद देव आनंद की ‘हरे राम हरे कृष्ण’ (1971) में ‘दम मारो दम’ गाते हुए जीनत अमान हिन्दी सिनेमा की नई सनसनी बनकर उभरीं।
जेम्स बॉन्ड शैली की फिल्म
जेम्स बॉन्ड फिल्मों की शैली वाली ‘द ईवल विदिन’ ( The Evil Within ) के बाद देव आनंद ( Dev Anand ) ने भी हॉलीवुड से हाथ जोड़ लिए। इस फिल्म में उन्होंने जासूस देव वर्मा का किरदार अदा किया था, जो अफीम तस्करों के सफाए के मिशन पर है। भारतीयों से नफरत करने वाली विलायती युवती रीटा (जीनत अमान) इस जासूस को दिल दे बैठती है। एक राजकुमारी (वियतनामी अभिनेत्री किऊ चिन) भी जासूस पर फिदा है। दोनों हाथों में ‘लड्डू’ लेकर जासूस तस्करों की नाक में दम करता रहता है।
उदयपुर में हुई थी शूटिंग
लेम्बर्टो एवेलाना के निर्देशन में बनी ‘द ईवल विदिन’ की ज्यादातर शूटिंग झीलों के शहर उदयपुर में की गई। वहां सिटी पैलेस में एक कलाकार पर राजस्थानी लोकगीत ‘म्हारो गोरबंध नखरालो’ भी फिल्माया गया था। शायद इस फिल्म में उदयपुर के खूबसूरत नजारे देखकर कुछ साल बाद हॉलीवुड ने जेम्स बॉन्ड सीरीज की ‘ऑक्टोपसी’ (रोजर मूर) यहीं फिल्माई।
झटका देने वाला दूसरा अंतरराष्ट्रीय प्रोजेक्ट
यह इत्तफाक है कि देव आनंद ने दो अंतरराष्ट्रीय प्रोजेक्ट में आजमाइश की और दोनों बार नाकाम रहे। ‘द ईवल विदिन’ से पहले उन्होंने अपनी क्लासिक ‘गाइड’ का हॉलीवुड संस्करण निर्देशक टैड डेनियलवस्की से तैयार करवाया था। यह भी नहीं चला। ‘द ईवल विदिन’ की फोटोग्राफी का जिम्मा ‘गाइड’ के कैमरामैन फाली मिस्त्री ने संभाला था। करण जौहर के पिता यश जौहर, जिन्होंने बतौर निर्माता 1980 में कामयाब ‘दोस्ताना’ (अमिताभ बच्चन, जीनत अमान) बनाई, 1970 में आई ‘द ईवल विदिन’ के प्रॉडक्शन कंट्रोलर थे। देव आनंद के लिए ‘द ईवल विदिन’ बाद में इतनी महत्त्वहीन हो गई कि अपनी आत्मकथा ‘रोमांसिंग विद लाइफ’ में उन्होंने दूसरी फिल्मों का तो विस्तार से जिक्र किया, इस फिल्म को एक छोटे-से पैराग्राफ में निपटा दिया।
सेंसर बोर्ड से नहीं मिली हरी झंडी
देव आनंद और जीनत अमान के अलावा कई और भारतीय कलाकार ‘द ईवल विदिन’ में नजर आए। इनमें प्रेमनाथ, इफ्तिखार, शेट्टी और जगदीश राज शामिल हैं। जीनत अमान और किऊ चिन के साथ देव आनंद के चुम्बन दृश्यों को लेकर भारतीय सेंसर बोर्ड ने फिल्म को सर्टिफिकेट नहीं दिया। बाद में फिलीपीन्स से इसके वीडियो कैसेट्स भारत पहुंचे, लेकिन लोगों ने फिल्म देखने में ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखाई।