उन्होंने बताया की उनको अपने डिप्रेशन का अनुभव 2014 में हुआ। वो पहले अपने संघर्ष को बताने से पहले झिझक रहीं थी और एक पल के लिए हकलाने लगीं थी। मगर उन्होंने फिर खुल कर बताया कि उनके साथ क्या हो रहा था। उन्होंने कहा, “अचानक मुझे ऐसे लगा की मेरे पेट में अजीब सा महसूस होता था, मैं एक खालीपन महसूस करती रहती थी। मुझे ऐसा लगता था की मुझे काम पर नहीं जाना है, मैं किसी को मिलना नहीं चाहती थी, मैं बाहर नहीं जाना चाहती थी। मैं कुछ नहीं करना चाहती थी। काफी बाद, मुझे नहीं पता कि मुझे यह कहना चाहिए, लेकिन जीने की जो … मुझे और जीने का मन नहीं कर रहा था. मुझे लगा जैसे जिंदगी में कोई लक्ष्य नहीं था।”
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फिर एक बार जब उनकी पेरेंटस उनसे मिलने के बाद जब वापस जा रहे थे, तब अचानक दीपिका रोने लगीं। उनकी मां उज्जला पादुकोण ने जब देखा कि दीपिका का रोना कुछ अलग सा है, जो सामान्य रोने से अलग था। उन्होंने बताया कि,”ये रोना ऐसा लग रहा था कि जैसे कि मैं कुछ मदद मांग रहीं हैं।” फिर इसके बाद में मनोचिकित्सक के पास गई, उससे उन्हें पता चला कि जो भी है वो ठीक नहीं है और उन्हें मदद की जरूरत है। अब दीपिका इन सब चीजों से उबर चुकी है और अपना जीवन अच्छे से जी रहीं हैं।
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