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जब एक गाना सुनकर सहगल ने बना लिया था मुकेश को अपना उत्तराधिकारी

मुकेश अभिनेता कुंदनलाल सहगल के प्रशंसक थे और उन्हीं की तरह गायक एवं अभिनेता बनने का ख्वाब देखा करते थे।

Aug 27, 2018 / 02:05 pm

Mahendra Yadav

Mukesh

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बॉलीवुड में मुकेश ने भले ही अपनी सिंगिंग से लगभग तीन दशक तक श्रोताओं को दीवाना बनाया लेकिन वह अपनी पहचान अभिनेता के तौर पर बनाना चाहते थे। मुकेश चंद माथुर का जन्म 22 जुलाई 1923 को दिल्ली में हुआ था। उनके पिता लाला जोरावर चंद माथुर एक इंजीनियर थे और वह चाहते थे कि मुकेश उनके नक्शे कदम पर चलें लेकिन वह अपने जमाने के प्रसिद्ध गायक अभिनेता कुंदनलाल सहगल के प्रशंसक थे और उन्हीं की तरह गायक एवं अभिनेता बनने का ख्वाब देखा करते थे।

ऐसे मिला बॉलीवुड में मौका:
मुकेश ने दसवीं तक पढ़ाई करने के बाद स्कूल छोड दिया और दिल्ली लोक निर्माण विभाग में सहायक सर्वेयर की नौकरी कर ली जहां उन्होंने सात महीने तक काम किया। इसी दौरान अपनी बहन की शादी में गीत गाते समय उनके दूर के रिश्तेदार मशहूर अभिनेता मोतीलाल ने उनकी आवाज सुनी और प्रभावित होकर वह उन्हें 1940 में मुंबई ले आए और अपने साथ रखकर पंडित जगन्नाथ प्रसाद से संगीत सिखाने का भी प्रबंध किया। वर्ष 1941 में मुकेश को एक हिन्दी फिल्म ‘निर्दोष’ में अभिनेता बनने का मौका मिल गया, जिसमें उन्होंने अभिनेता एवं गायक के रूप में संगीतकार अशोक घोष के निर्देशन में अपना पहला गीत ‘दिल ही बुझा हुआ हो तो..’ भी गाया।

जब एक गाना सुनकर सहगल ने बना लिया था मुकेश को अपना उत्तराधिकारी

अभिनेता के रूप में नहीं बना पाए पहचान:
हालांकि मुकेश की पहली फिल्म टिकट खिड़की पर बुरी तरह से नकार दी गई। इसके बाद मुकेश ने ‘दुख—सुख’ और ‘आदाब अर्ज’ जैसी कुछ और फिल्मों में भी काम किया लेकिन पहचान बनाने में कामयाब नहीं हो सके। इसके बाद मोतीलाल प्रसिद्ध संगीतकार अनिल विश्वास के पास मुकेश को लेकर गए और उनसे अनुरोध किया कि वह अपनी फिल्म में मुकेश से कोई गीत गवाएं।

जब एक गाना सुनकर सहगल ने बना लिया था मुकेश को अपना उत्तराधिकारी

सहगल ने बनाया उत्तराधिकारी:
वर्ष 1945 में प्रदर्शित फिल्म ‘पहली नजर’ में अनिल विश्वास के संगीत निर्देशन में ‘दिल जलता है तो जलने दे..’ गीत के बाद मुकेश कुछ हद तक अपनी पहचान बनाने में कामयाब हो गए। मुकेश ने इस गीत को सहगल की शैली में ही गाया था। सहगल ने जब यह गीत सुना तो उन्होंने कहा था, ‘अजीब बात है, मुझे याद नहीं आता कि मैंने कभी यह गीत गाया है।’ इसी गीत को सुनने के बाद सहगल ने मुकेश को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया था। सहगल की गायकी के अंदाज से प्रभावित रहने के कारण शुरुआती दौर की अपनी फिल्मों में वह सहगल के अंदाज मे ही गीत गाया करते थे।

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