इंडस्ट्री में जब भी प्यार का जिक्र होता है तो राज कूपर और नरगिस दत्त का नाम जरूर लिया जाता है। उनकी लवस्टोरी की कहानी उस दौर में हर किसी के जुबान पर था। नरगिस और राज कपूर की मुलाकात साल 1946 में हुई थी। नरगिस से हुई पहली मुलाकात के बाद राज कपूर उनके दीवाने हो गए। इसके बाद वो सीधे इंदर राज आनंद के घर गए जिन्होंने फिल्म ‘आग’ की स्क्रिप्ट लिखी थी। राज कपूर ने उनसे कहा कि उस स्क्रिप्ट में वह किसी तरह नरगिस का रोल भी जोड़ दें क्योंकि वो अब उनके साथ काम करना चाहते हैं।
जिस वक्त राज कपूर नरगिस की जिंदगी में आए थे वह शादीशुदा थे। इसके बावजूद दोनों एक दूसरे के नजदीक होते चले गए और उनका रिश्ता आगे बढ़ता गया। दोनों की कई फिल्में सुपरहिट रही। वहीं राज कपूर की ‘बरसात’ और ‘आवारा’ फिल्म ने उन्हें एक निर्देशक और अभिनेता के तौर पर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिला दी थी। खास बात ये रही कि इसके बाद राज कपूर ने ये फैसला कर लिया था कि अब नरगिस किसी बाहर के निर्माता की फिल्म में काम नहीं करेंगी। राज कपूर के प्यार में पागल नरगिस ने ये बात मान ली और कई बड़े निर्माताओं के साथ काम करने से मना कर दिया। वहीं जब नरगिस ने राज कपूर के साथ शादी करने का फैसला किया तो वह पीछे हट गए। नरगिस चाहती थीं कि राज कपूर उनसे शादी करके घर बसा लें। लेकिन बहुत जल्द नरगिस को एहसास हो चुका था कि राज कपूर पत्नी कृष्णा को कभी नहीं छोड़ेंगे। उसके बाद नरगिस ने दूसरी फिल्मों में काम करना शुरू कर दिया।
इसके बाद नरगिस की लाइफ में सुनील दत्त आए। राज कपूर के धोखे से पूरी तरह से टूट चुकी नरगिस को सुनील दत्त का सहारा मिला। इसके बाद दोनों ने साल 1958 में शादी कर ली। इसके बाद उन्होंने कभी राज कपूर की तरफ पलटकर नही देखा। जब ये बात राज कपूर को पता चली तो वह पूरी तरह से टूट गए थे। वह नरगिस की हर चीज को उनकी निशानी के तौर पर देखते थे। खबरे तो ये भी आई कि जब नरगिस आरके स्टूडियो और राज कपूर की जिंदगी से बाहर हो गई तब भी कई सालों तक उनके कमरे को वैसे ही रखा गया जैसा कि वो छोड़ गई थीं। वहीं सुनने में आता था की राज कपूर अक्सर शराब पीकर बाथटब में घंटो तक रोते रहते थे और अपने आप को सिगरेट बटों से जलाते, ये देखने के लिए कि कहीं वो सपना तो नहीं देख रहे। राज कपूर को हमेशा ये लगता रहा कि नरगिस ने उन्हें ‘मदर इंडिया’ साइन करने को लेकर धोखा दिया है। सालों बाद जब नरगिस दत्त का अंतिम संस्कार हुआ तो राज कपूर उनके जनाजे में आम लोगों के साथ सबसे पीछे चल रहे थे। हर कोई उन्हें आगे उनके पार्थिव शरीर के पास जाने के लिए कह रहा था लेकिन उन्होंने उनकी बात नहीं मानी।