गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर ( Rabindranath Tagore ) से एक बार उनके पोते ने कहा था- ‘दादाजी, हमारे यहां नया पावर हाउस बन रहा है।’ टैगोर बोले- ‘हां, पुराना उजाला चला जाएगा, नया आएगा।’ विभिन्न क्षेत्रों में तरक्की की रफ्तार पर उनका यह कथन सटीक है, लेकिन उनकी कालजयी रचनाओं के पावर हाउस पर लागू नहीं होता। उन्हें दुनिया छोड़े 80 साल होने वाले हैं। इस दौरान साहित्य में अनगिनत प्रकाश पुंज नया उजाला बिखेर चुके हैं, टैगोर की रचनाओं का उजाला अपनी जगह कायम है। इन रचनाओं में जो सूक्ष्म संवेदना है, शिल्प, शब्द-सौंदर्य, भावों की गहराई, गठन-कौशल, सहजता और अभिव्यक्ति की सरसता है, उनका विकल्प दूर-दूर तक नजर नहीं आता। जैसा कि डॉ. बशीर बद्र ने फरमाया है- ‘ये चांद-तारों का आंचल उसी का हिस्सा है/ कोई जो दूसरा ओढ़े तो दूसरा ही लगे।’
फिल्मकारों के पसंदीदा लेखक
रवीन्द्रनाथ टैगोर की रचनाएं एक जमाने से फिल्मकारों को लुभाती रही हैं। मूक फिल्मों के दौर में उनके नाटक ‘विसर्जन’ पर ‘बलिदान’ (1927) नाम की फिल्म से यह सिलसिला शुरू हुआ था, जो इक्कीसवीं सदी में भी जारी है। दिलीप कुमार की ‘मिलन’ और भारत भूषण की ‘घूंघट’ टैगोर के उपन्यास ‘नौका डूबी’ पर आधारित थीं, तो उनकी कहानी ‘समाप्ति’ पर जया भादुड़ी की ‘उपहार’ बनी। उनके उपन्यास ‘चोखेर बाली’ (आंख की किरकिरी) पर ऐश्वर्या राय बच्चन को लेकर फिल्म बन चुकी है। सत्यजीत राय की ‘तीन कन्या’, ‘चारूलता’ और ‘घरे बाइरे’ टैगोर की रचनाओं पर आधारित हैं। उनकी कहानी पर बनी विमल राय की ‘काबुलीवाला’ भी उल्लेखनीय फिल्म है, जो बलराज साहनी की लाजवाब अदाकारी और मन्ना डे के सदाबहार गीत ‘ए मेरे प्यारे वतन’ के लिए याद की जाती है।
मालिक के बेटे और नौकर के आत्मीय रिश्ते
अब टैगोर की कहानी ‘खोकाबाबर प्रत्यवर्तन’ (छोटे उस्ताद की वापसी) पर निर्देशक बिपिन नाडकर्णी ( Bipin Nadkarni ) ने ‘दरबान’ ( Darbaan Movie ) नाम से फिल्म बनाई है, जो 4 दिसम्बर को एक ओटीटी प्लेटफॉर्म पर आ रही है। इस कहानी पर 1960 में उत्तम कुमार को लेकर बांग्ला फिल्म बन चुकी है, जिसका संगीत हेमंत कुमार ने दिया था। ‘दरबान’ एक जमींदार के वफादार नौकर रायचरण की त्रासद कथा है। उस पर जमींदार के बेटे की देखभाल की जिम्मेदारी थी। एक हादसे में इस बच्चे की मौत के बाद अपराध-बोध से ग्रस्त रायचरण अपना बेटा जमींदार को सौंपना चाहता है। ‘दरबान’ में रायचरण का किरदार शारिब हाशमी ने अदा किया है। बाकी कलाकारों में शरद केलकर, रसिका दुग्गल, सुनीता सेनगुप्ता, फ्लोरा सैनी और हर्ष छाया शामिल हैं।
कोमल भावनाएं बुनयादी लय
‘दरबान’ की कहानी इस लिहाज से ‘काबुलीवाला’ की याद दिलाती है कि यह भी एक गरीब व्यक्ति और अमीर घराने के बच्चे के आत्मीय रिश्तों के हवाले से इंसान की कोमल भावनाओं को टटोलती है। कोमलता टैगौर की रचनाओं की बुनियादी लय है। ‘काबुलीवाला’ के अलावा उनकी दूसरी रचनाओं ‘चित्रांगदा’, ‘विसर्जन’, ‘श्यामा’, ‘पोस्टमास्टर’, ‘स्वर्ण मृग’, ‘अतिथि’, ‘दृष्टिदान’, ‘सजा’ आदि में भी कोमलता अलग-अलग रूपों में उजागर हुई है।
अनुराग बसु बना चुके हैं टीवी सीरीज
निर्देशक अनुराग बसु ने 2015 में ‘स्टोरीज बाय रवींद्रनाथ टैगोर’ नाम की टीवी सीरीज बनाई थी। इसमें ‘काबुलीवाला’ और ‘चोखेर बाली’ समेत 20 कहानियां पेश की गई थीं। यहां ‘चोखेर बाली’ की विनोदिनी के किरदार में राधिका आप्टे नजर आई थीं। सीरीज की बाकी कडिय़ों में रोहण शाह, अमृता पुरी, जॉय सेनगुप्ता, सविता प्रभुणे, अमृता बागची, किरण श्रीनिवास आदि ने अहम किरदार अदा किए।