जब Ranveer Singh ने Ranbir Kapoor को इस बेबाक एक्ट्रेस को डेट करने की दी थी सलाह, नाम सुन उड़ जाएंगे होश
उन्होंने ‘द लाइफ ऑफ क्राइस्ट’ नाम की एक फिल्म देखी, जिसको देखने के बाद उनकी दुनिया ही बदल गई. थियेटर में बैठकर इस फिल्म के तालियां बजाते दादा साहब ने ये तय कर लिया कि वो वो भी ईसा मसीह की तरह भारतीय धार्मिक और मिथकीय चरित्रों को रूपहले पर्दे पर जीवित करेंगे. अपने इस काम को पूरा करने के लिए दादा साहब ने सबसे पहले तो अपनी सरकारी नौकरी छोड़ दी. वो भारत सरकार के पुरातत्व विभाग में फोटोग्राफर के तौर पर काम किया करते थे.
खास बात ये है कि वो एक पेशेवर फोटोग्राफर थे, जिनको इंडस्ट्री की नींव रखने में ज्यादा परेशानी नहीं हुई. वो पहले गुजरात के गोधरा शहर में रहे, लेकिन अपनी पहली पत्नी और एक बच्चे की मौत के बाद उन्होंने गोधरा छोड़ दिया. दादासाहब फालके ने केवल 20-25 हजार की लागत से फिल्म इंडस्ट्री की शुरुआत की थी. उस वक्त इतनी रकम भी एक बड़ी रकम होती थी, लेकिन विदेशी फिल्मों की तुलना में ये रकम काफी छोटी थी और इसके लिए उन्हें अपने एक दोस्त से कर्ज लेना पड़ा था और अपनी संपत्ति एक साहूकार के पास गिरवी रखनी पड़ी थी.
जब दादा साहब ने इस काम की शुरूआत की थी तब देश की ज्यादातर महिलाएं फिल्मों में काम नहीं करना चाहती थी. उस दौर में पुरुष कलाकार ही नायिकाओं का किरदार निभाया करते थे, तब दादासाहब फालके ने फिल्म की लिए एक महिला कलाकार की खोज शुरू की और इसके लिए वो रेड लाइट एरिया में भी पहुंच गए, लेकिन वहां भी कोई कम पैसे में फिल्मों में काम करने के लिए तैयार नहीं हुई. हालांकि, बाद में फिल्मों में काम करने वाली पहली दो महिलाएं फाल्के की ही फिल्म मोहिनी भष्मासुर से भारतीय सिनेमा में आई थीं. इन दोनों पहली एक्ट्रेस का नाम था दुर्गा गोखले और कमला गोखले.
बता दें कि अपने 19 सालों के करियर में दादासाहब फालके ने कुल 95 फिल्में और 26 लघु फिल्में बनाई थीं. ‘गंगावतरण’ उनकी आखिरी फिल्म थी, जो साल 1937 में आई थी. ये उनकी पहली और आखिरी बोलती फिल्म भी थी. फिल्म असफल रही थी, लेकिन इंडस्ट्री का नया जीवन शुरू कर गई. पहली फिल्म की सफलता के बाद उन्होंने मोहिनी भस्मासुर (1913), सत्यवान सावित्री (1914), लंका दहन (1917), श्री कृष्ण जन्म (1918) और कालिया मर्दन (1919) शामिल हैं, उनकी आखिरी मूक मूवी सेतुबंधन थी और आखिरी बोलती फिल्म गंगावतरण जैसी बेहतरीन फिल्में दी थीं.